मानव संसाधन प्रबंधन / Human Resource Management

निष्पादन मूल्यांकन के गुण-दोष | निष्पादन मूल्यांकन के गुण | निष्पादन मूल्यांकन के दोष | निष्पादन मूल्यांकन कार्यक्रम में सुधार के सुझाव

निष्पादन मूल्यांकन के गुण-दोष | निष्पादन मूल्यांकन के गुण | निष्पादन मूल्यांकन के दोष | निष्पादन मूल्यांकन कार्यक्रम में सुधार के सुझाव | Merits and demerits of performance appraisal in Hindi | Features of Performance Appraisal in Hindi | Defects of Performance Appraisal in Hindi | Suggestions for improvement in performance appraisal program in Hindi

निष्पादन मूल्यांकन के गुण-दोष

निष्पादन मूल्यांकन के गुण

(Merits of Performance Appraisal)

(1) पारितोषण एवं दण्ड की प्रक्रिया में सहायक (Facilitates the Process of Rewards and punishment) – निष्पादन मूल्यांकन को कर्मचारियों को पुरस्कृत करने अथवा दण्ड देने का आधार बनाया जा सकता है। इसके आधार पर उन कर्मचारियों को जो अपना कार्य अधिक कार्यकुशलता से करते हैं, अतिरिक्त पारिश्रमिक अथवा पारितोषिक प्रदान किया जा सकता है। इसी प्रकार काम न करने वाले कर्मचारियों को दण्डित किया जा सकता है।

(2) पदोन्नति योग्य कर्मचरियों की जानकारी (Identify Promotable Executives)- निष्पादन मूल्यांकन के द्वारा कर्मचरियों की सापेक्षिक क्षमताओं का ज्ञान प्राप्त होता है। इसका उपयोग करके कुशलतम कर्मचारियों को पदोन्नत किया जा सकता है।

(3) भावी प्रशिक्षण द्वारा विकास की सम्भावनाओं का ज्ञान (Identify People who may best Benefit by Further Training) – इसके द्वारा वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम की दुर्बलताओं का पता लगाया जा सकता है तथा ऐसे कर्मचारियों का भी पता लगाया जा सकता है जिनमें और विकास की सम्भावनायें हैं।

(4) कर्मचारी मनोबल बनाये रखने में सहायक (Helpful in Building Employees’ Moral) – प्रभावी निष्पादन मूल्यांकन विधि से कर्मचारियों का मनोबल बना रहता है। प्रत्येक कर्मचारी यह अनुभव करने लगता है कि उसकी योग्यताओं को पहचान कर उसका सम्मान किया जाता है। फलस्वरूप उसके मनोबल में वृद्धि होती है।

(5) योग्य एवं महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों के लिये आकर्षण (Attractions to Competent and Ambitious People) – प्रभावी मूल्यांकन विधि की किसी उपक्रम में उपस्थिति से अनेक योग्य और महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति ऐसे उपक्रम की ओर आकर्षित होते हैं। बहुधा  ऐसे व्यक्ति जो अपनी योग्यता के आधार पर उच्च पदों तक पहुँचने की सामर्थ्य रखते हैं, ऐसे उपक्रमों की ओर सरलता से आकर्षित किये जा सकते हैं।

निष्पादन मूल्यांकन के दोष

(Demerits of Performance Appraisal)

आधुनिक काल में निष्पादन मूल्यांकन का प्रायः विरोध किया जाता है। इन विरोधों को ही इसके दोष कहा जा सकता है। यह दोष निम्न प्रकार हैं-

(1) निष्पादन मूल्यांकन में आवश्यक धन तथा समय का व्यय होता है।

(2) मूल्यांकन का कर्मचारियों की मनोदशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। मूल्यांकन के समय उसमें कार्य का जोश कम रहता है। मूल्यांकन के परिणामों की अनिश्चितता के कारण उनमें घबराहट रहती है और वह अपने कार्य पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते।

(3) कर्मचारियों का निष्पक्ष मूल्यांकन सरल कार्य नहीं है। मूल्यांकन में व्यक्तिगत पक्षपात की सदैव गुंजाइश रहती है इसका यर्थाथपरक होना संदिग्ध रहता है।

(4) जब मूल्यांकन एक से अधिक व्यक्तियों के द्वारा किया जाता है, तो विचार भिन्नता के फलस्वरूप मूल्यांकन भी भिन्न-भिन्न हो सकता है।

(5) ऐसे व्यक्ति जो योग्यता के आधार पर श्रेष्ठ पाये जाते है, वे तुरन्त पदोन्नति की माँग करने लगते हैं। पदोन्नति न मिलने पर उनके हृदय में कुण्ठायें जन्म लेने लगती हैं।

(6) निष्पादन मूल्याकंन के आधार पर पदोन्नति की व्यवस्था से वरिष्ठता का महत्त्व कम हो जाता है और यह भी कमर्चारी असन्तोष का कारण बनता है।

निष्पादन मूल्यांकन कार्यक्रम में सुधार के सुझाव

(Suggestions for Improving Performance Appraisal Programme)

निष्पादन मूल्यांकन का कार्यक्रम सफलतापूर्वक कार्य कर सके तथा कर्मचारियों का सही मूल्यांकन हो सके इसके लिये निष्पादन मूल्यांकन योजना में आवश्यक सुधार किया जाना आवश्यक है। इस हेतु निम्न सुझाव प्रस्तुत किये जा सकते हैं-

(1) मूल्यांककों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उसे परिवेश प्रभाव तथा तथ्यपूर्ण मूल्यांकन से अवगत कराया जाना चाहिये। किस प्रकार कर्मचारी के मूल्यांकन में समय कार्य निष्पादन का स्थान दिया जाये, इसका व्यावहारिक प्रशिक्षण उसे प्रदान किया जाना चाहिये।

(2) मूल्यांकक को मूल्यांकन में दूसरों के परामर्श पर भी ध्यान देना चाहिये। इसके लिये सहयोगी अधिकारियों से विचार-विमर्श की विधि अपनायी जा सकती है। साथ ही विचार-विमर्श की सम्पूर्ण प्रक्रिया किसी योग्य मूल्यांकन के अधीन होनी चाहिये।

(3) विभिन्न विभागों में कर्मचारियों का मूल्यांकन करते समय पर्याप्त सर्तकता बरतनी आवश्यक है। विभिन्न प्रकृति के कार्य करने वाले व्यक्तियों के मूल्यांकन के आधार समान नहीं रखे जाने चाहिये, तुलना करते समय इन आधारों का ध्यान रखा जाना चाहिये।

(4) मूल्यांकन, कार्य सम्बन्धी तत्त्वों के सन्दर्भ में ही होना चाहिये। व्यक्ति की किसी अन्य क्षेत्र में दुर्बलता का प्रभाव इस पर नहीं पड़ना चाहिये।

(5) कर्मचारियों के साथ मूल्यांकन पर विचार-विमर्श के समय संख्यात्मक मूल्यांकन (Numerical Values) को बीच में नहीं लाना चाहिये, क्योंकि संख्या को प्रकट कराने में जितनी सत्यता नजर आती है, आवश्यक नहीं कि वास्तविक परिस्थिति उसी के अनुरूप हो।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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