दृश्य-श्रव्य तकनीकी | शैक्षिक तकनीकी में किये गये प्रमुख शोध कार्य | शैक्षिक तकनीकी में अनुसंधानों पर आधारित नवीन प्रवृत्तियाँ

दृश्य-श्रव्य तकनीकी | शैक्षिक तकनीकी में किये गये प्रमुख शोध कार्य | शैक्षिक तकनीकी में अनुसंधानों पर आधारित नवीन प्रवृत्तियाँ | Audiovisual technology in Hindi | Major research work done in educational technology in Hindi | New Trends Based on Research in Educational Technology in Hindi
दृश्य-श्रव्य तकनीकी (Audio-Visual Technology)-
शैक्षिक तकनीकी के कठोर उपागम (Hardware approach) के अन्तर्गत दृश्य-श्रव्य सहायक सामप्रियाँ अधिगम एवं शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। इन सामाग्रियों द्वारा मनोरंजन के साथ-साथ विभिन्न शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति, व्यूह रचना का चुनाव एवं उपयुक्त शैक्षिक परिस्थितियों के अभ्युदय में बहुत सहायता मिलती है।
शैक्षिक तकनीकी में किये गये प्रमुख शोध कार्यों
शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र अति विस्तृत है। आधुनिक युग में यह विषय महत्वपूर्ण होता चला जा रहा है। विश्व के शिक्षाशास्त्री शिक्षा को व्यावहारिक विज्ञान के रूप में लाकर शिक्षक को शैक्षिक शिल्पी के रूप में जनसाधारण को भेंट देने का प्रयत्न कर रहे हैं। इन प्रयत्नों ने वैज्ञानिक आविष्कारों, टेलीविजन, टेपरिकार्डर, फिल्म स्लाइडस तथा अन्य औद्योगिक एवं तकनीकी खोजों से लाभ उठाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। शिक्षा की प्रक्रिया को विज्ञान की आधार शिला पर प्रभावशाली बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के हेतु शैक्षिक शास्त्री एवं शैक्षिक मनोवैज्ञानिक शिक्षण तकनीकी के क्षेत्र में प्रयोग एवं शोध के परिवेश को उन्नत बनाने के लिये जुट गए हैं। यद्यपि तकनीकी भारत वर्ष में एक नवीन चेतना की अभिव्यक्ति है। फिर अत्यन्त अल्पकाल में इस क्षेत्र में पर्याप्त कार्य हुआ है और अभी बहुत कुछ किये जाने के लिये क्षेत्र शेष है। आवश्यकता है। हमारे राष्ट्र के शोध छात्रों का इस दिशा में निर्देश प्रदान करने की। अतः शैक्षिक अनुसंधान की प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं-
शैक्षिक तकनीकी में अनुसंधानों पर आधारित नवीन प्रवृत्तियाँ
भारतवर्ष में शिक्षा के विभिन्न अंगों को सक्षम बनाने के लिये एन.सी.ई.आर.टी. नई दिल्ली की स्थापना भारत सरकार ने की थी। इस परिषछ के अनेक विभाग हैं इस परिषद ने शैक्षिक शिल्पशास्त्री की महत्ता महसूस करते हुए भी अभी हाल में “शैक्षिक तकनीकी केन्द्र” (Centre for Education) नामक एक नया विभाग श्रीमती स्त्रोह शुक्ला के निर्देशन में प्रारम्भ किया गया। इस केन्द्र का प्रमुख ध्येय शैक्षिक तकनीकी के सिद्धान्तों एवं सामग्री का विकास करना तथा औपचारिक एवं अनौपचारिक भारतीय शिक्षा प्रणाली में उपयोग करने के लिए पूर्ण प्रयत्न करना रखा गया है। इस केन्द्र ने निम्नांकित क्षेत्रों में कार्य प्रारम्भ किया है
- शैक्षिक तकनीकी का प्रयोग करते हुये एक अच्छी प्रणाली का निर्माण एवं विकास करना।
- शिक्षा तकनीकी में सूक्ष्म वस्तु माध्यम पर शोध एवं विकास करना।
- शैक्षिक तकनीकी के क्षेत्र में विभिन्न प्रशिक्षण द्वारा योग्यताओं एवं क्षमताओं का विकास करना।
- शैक्षिक तकनीकी के क्षेत्र में साम्रगी एवं विभिन्न योजनाओं का मूल्यांकन करना।
‘सूक्ष्म एवं स्थूल वस्तु माध्यम/प्रसार कार्य के लिये विभिन्न से एकत्रित कर कोष (Bank) सूचना तथा सामग्री का वितरण करना। इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु-यह परिषद अनके माध्यमों से शिक्षा तकनीकी चेतना का विकास विद्यालयों महाविद्यालयों तथा प्रशिक्षण महविद्यालयों से करने के लिये प्रयत्नशील है।
शैक्षिक शिल्पशास्त्र के एक प्रमाण, अमिक्रमिक अध्ययन, के विकास हेतु “Indian Association for Programmed Learning” की सन् 1967 में स्थापना हो चुकी है। यह संस्थान विभिन्न पत्रिकाओं समाचार पत्र, पुस्तकों सेमीनारों आदि के माध्यम से अपने क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही है। एन. सी. आर. टी. स्टेट इन्स्टीयूट ऑफ एजूकेशन तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों में इस क्षेत्र में शोधकार्य पूर्णता के साथ किया जा रहा है।
शैक्षिक तकनीकी – महत्वपूर्ण लिंक
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