संगठनात्मक व्यवहार / Organisational Behaviour

संगठनात्मक संस्कृति | संगठनात्मक संस्कृति की विशेषतायें | Organizational Culture in Hindi | Characteristics of organizational culture in Hindi

संगठनात्मक संस्कृति | संगठनात्मक संस्कृति की विशेषतायें | Organizational Culture in Hindi | Characteristics of organizational culture in Hindi

संगठनात्मक संस्कृति क्या है ?

(What is Organisational Culture?)

सामान्य अर्थ में, संस्कृति मानव समाज की आवश्यकताओं की एक व्यवस्था तथा उद्देश्यपूर्ण क्रियाओं की एक सुसंगठित व्यवस्था है। यह उन भौतिक तथा बौद्धिक संसाधनों या उपकरणों का सम्पूर्ण योग है जिनके द्वारा मानव अपनी प्राणीशास्त्रीय तथा सामाजिक आवश्यकताओं की सन्तुनिष्ट तथा पर्यावरण से अनुकूलन करता है।

एडगर स्चीन (Edgar Schein) ने अपने व्यापक शोध एवं लेखन के बाद संगठनात्मक संस्कृति को निम्न शब्दों में परिभाषित किया है-

“संगठनात्मक संस्कृति आधारभूत मान्यताओं की एक शैली है जो एक दिये हुये समूह के द्वारा खोजी या विकसित की गयी है ताकि आन्तरिक एवं बाह्य वातावरण की समस्याओं के साथ अनुकूलन स्थापित करना सीखा जा सके।” इस प्रकार संगठनात्मक संस्कृति में संगठन की समस्याओं को सुलझाने की परम्परागत विधियाँ या समस्याओं को सीखे हुये हलों (Learned solving organisational problems) का समावेश होता है। इसके अतिरिक्त इसमें इन वस्तुओं के साथ बाह्य वातावरण तथा अन्य व्यक्तियों के साथ अनुकूलन करने की कुछ प्रविधियों का भी समावेश होता है। अतः संगठनात्मक संस्कृति जहाँ आवश्यकताओं को जन्म देती है, वहीं उनकी पूर्ति करने के साधन भी जुटाती है। रोबिन्स के अनुसार, “संगठनात्मक संस्कृति को संगठन के सदस्य द्वारा ग्रहित सामान्य अवबोधन (Common perception) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह सहभागी अर्थों (Shared meaning) की एक पद्धति है।”

संगठनात्मक संस्कृति की विशेषतायें

(Characteristics of Organisational Culture)

एलवीसन (Alvesson) ने संगठनात्मक संस्कृति की निम्न विशेषतायें बतलायी हैं-

(1) अवलोकित व्यवहारवादी नियमिततायें (Observed Behavioural Regularities) – जब संगठन में काम करने वाले व्यक्ति एक-दूसरे के साथ अन्तर्क्रिया करते हैं तो वे सामान्य भाषा, शब्दावली, विधि सम्बन्धी प्रक्रिया को प्रयोग करते हैं।

(2) प्रतिमान (Norms)- संगठन में व्यवहार के निश्चित प्रमाप विद्यमान होते हैं जो यह बताते हैं कि संगठन में कितना काम करना है या नहीं करना है।

(3) प्रभुत्व मूल्य (Dominant Values ) – संगठन में कुछ महत्वपूर्ण मूल्य होते हैं जो संगठन की विशेषता वतलाते हैं तथा जिनमें सहभागिता के लिये संगठन आशा करता है। उच्च किस्म के उत्पाद, निम्न अनुपस्थिति तथा उच्च कुशलता आदि महत्वपूर्ण मूल्यों के उदाहरण हैं।

(4) दर्शन (Philosophy ) – संगठन की कुछ नीतियों होती हैं जो संगठनात्मक विश्वास की स्थापना करती हैं कि कर्मचारियों एवं ग्राहकों के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जाता है।

(5) नियम (Rules)- संगठन में कार्य सम्बन्धी कठोर मार्गदर्शक बातें होती हैं जो आने वाले व्यक्ति को समूह का पूर्ण सदस्य बनने हेतु अपनानी आवश्यक होती है।

(6) संगठनात्मक जलवायु (Organisational Climate) – यह संगठन की समग्र धारणा (Feeling) होती है जो भौतिक अभिन्यास सहभागियों द्वारा अन्तर्किया सदस्यों के आचरण आदि के रूप में प्रदर्शित होती है।

गोरडन तथा कमिंस (Gordon and Cummins)- ने संगठनात्मक संस्कृति की निम्न दस विशेषतायें बतलायी हैं-

(1) व्यक्तिगत पहलपन (Individual Initiative)– यह उत्तरदायित्व की मात्र, स्वतंत्रता तथा निर्भरता को बताती है जो व्यक्तियों के पास होती है।

(2) जोखिम सहिष्णुता (Risk Tolerance)- यह वह सीमा (मात्रा) है जहाँ तक व्यक्ति आक्रामक, नवाचारयुक्त तथा जोखिम उठाने के लिये प्रोत्साहित किये जाते हैं।

(3) निर्देशन (Direction) – यह वह सीमा है जहाँ संगठन अपने सदस्यों के लिये स्पष्ट उद्देश्य तथा निष्पादन प्रत्याशायें सृजित करता है।

(4) एकीकरण (Integration)- यह वह सीमा है जिसमें संगठन के भीतर विभिन्न इकाइयाँ समन्वित रूप से परिचालन करती हैं।

(5) प्रबन्ध समर्थन (Management Support)- यह वह सीमा है जिसमें प्रबन्धक अपने अधीनस्थों को स्पष्ट सम्प्रेषण, सहायता तथा समर्थन उपलब्ध करता है।

(6) नियन्त्रण (Control)- इसमें नियमों तथा नियमनों की संख्या तथा प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण की मात्रा सम्मिलित है जो कर्मचारियों के व्यवहार को देखने तथा नियन्त्रण करने हेतु प्रयोग की जाती है।

(7) पहचान (Identity)- यह वह सीमा है जिसमें व्यक्ति को एक पेशेवर विशेषज्ञ या कार्य समूह का सदस्य होने की बजाय समग्र संगठन के रूप में देखा जाता है।

(8) पुरस्कार व्यवस्था (Reward System) – यह उस पुरस्कार मात्रा को बताती है जिसमें वरिष्ठता, भाई-भतीजावाद आदि के विपरीत कर्मचारी निष्पादन के घटक, आधारित होते हैं। व्यक्ति स्वतंत्र आलोचना तथा संघर्ष हेतु प्रोत्साहित किये जाते हैं।

(9) सम्प्रेषण स्वरूप (Communication Pattern)- यह वह मात्रा है जिसमें संगठनात्मक सम्प्रेषण कठोर रूप में औपचारिक सौपानिकता या सत्ता तक सीमित होता है।

रोबिन्स का मत है कि उपरोक्त सभी विशेषतायें उच्च से निम्न रूप में सातत्य रूप में विद्यमान रहती हैं। इन दस विशेषताओं के चित्रण द्वारा संगठनात्मक संस्कृति के दृष्टिकोण को प्ररूपित किया जाता है। संगठनात्मक संस्कृति इस बात से सम्बन्धित है कि कर्मचारी इन दसों विशेषताओं को किस रूप में प्राप्त करते हैं तथा वे इन्हें पसंद करते हैं या नहीं। यह वजह है कि संस्कृति एक वर्णनात्मक शब्द (Descriptive Term) है।

संगठनात्मक व्यवहार – महत्वपूर्ण लिंक

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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