शिक्षाशास्त्र / Education

स्मृति के प्रकार | अच्छी स्मृति के लक्षण | स्मृति पर प्रभाव डालने वाले तत्व

स्मृति के प्रकार | अच्छी स्मृति के लक्षण | स्मृति पर प्रभाव डालने वाले तत्व

स्मृति के प्रकार

(i) तात्कालिक स्मृति- अधिगम की गई विषय वस्तु को जब व्यक्ति तुरन्त ही याद कर लेता है तो वहाँ तात्कालिक स्मृति होती है। प्रायः कुशाग्र बुद्धि के लोगों में यह स्मृति पाई जाती है। यह व्यक्तिगत क्षमता पर निर्भर करता है कि तत्काल स्मरण की गई विषय- वस्तु कितनी अवधि तक मस्तिष्क पर रहती है। यह तात्कालिक स्मृति होती है।

(ii) स्थायी स्मृति- स्थायी स्मृति धारण के दीर्घकालीन होने में पाई जाती है। जितने अधिक समय तक व्यक्ति स्मरण की गई वस्तु को याद रखता है, फिर से अभिव्यक्त कर सकता है, उतनी ही स्थायी उसकी स्मृति कही जाती है। प्रायः बचपन में पढ़ी कविता लोग मरने तक याद रखते हैं, यही स्थायी स्मृति को बताता है। अभ्यास से स्थायी स्मृति पुष्ट होती है।

(iii) यांत्रिक स्मृति- इसके दो अर्थ हैं एक तो यत्र स्मृति जैसे घड़ी, मशीन, आदि बनाना जान लेने पर वह स्थायी रूप से याद हो जाता है और उसकी सहायता से मशीन या यन्त्र बनाने, चलाने या प्रयोग करने में पाई जाती है। दूसरे, इसका तात्पर्य है मशीन की तरह बिना समझे-बूझे याद करना। इसे रटन्त स्मृति भी कहते हैं जो अभ्यास एवं आदत का परिणाम होती है। रटन्त स्मृति में छोटे बालक और बड़े लोग भी बिना समझे- बूझे बार-बार पढ़कर घोट जाते हैं या कंठस्थ कर लेते हैं।

(iv) आदत जन्य स्मृति- आदत या अभ्यास के फलस्वरूप आदत जन्य स्मृति होती है। हर रोज लिखते रहते हैं, हमारी आदत पड़ जाती है, अक्षर, शब्द और वाक्य-रचना आजन्म याद रहते हैं।

(v) तार्किक स्मृति- जब व्यक्ति किसी विषय या उसके किसी अंश के बारे में स्वयं अथवा दूसरे के साथ तर्क-वितर्क करता है, निष्कर्ष निकालता है और इन्हें याद रखता है तो वहाँ तार्किक स्मृति होती है। प्रौढ़ अनुभवपूर्ण एवं शिक्षित-दीक्षित पाई जाती है। व्यक्तियों में तार्किक स्मृति पाई जाती है।

(vi) सक्रिय स्मृति- जब व्यक्ति अनुभव की गई और याद की गई चीजों को सक्रिय होकर अथवा प्रयत्नपूर्वक पुनः स्मरण करने में लगता है तो वहाँ सक्रिय स्मृति पाई जाती है। क्रियाशीलता एवं प्रयत्नशीलता इसके आवश्यक गुण होते हैं। यह एक प्रकार की चेतन एवं संकल्पनात्मक स्मृति होती है। परीक्षा देते समय इसी प्रकार की स्मृति काम करती है।

(vii) निष्क्रिय स्मृति- बिना प्रयल के यदि हमें कुछ बीते अनुभव ज्यों के त्यों याद हो जावें और उसको पुनः चेतन स्तर पर स्वभावतः ला दिया जावे तो वहाँ निष्क्रिय या निश्चेष्ट स्मृति होती है। यह स्वतः क्रियाशील और निरुद्देश्य एवं निष्प्रयोजन होती है।

(viii) इन्द्रिय जन्य स्मृति- अपने ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा हमें अनुभव प्रत्यक्ष होते हैं उनके आधार पर जब हम याद रखते हैं तो वहाँ इन्द्रिय जन्य स्मृति होती है, जैसे आग से जलने पर हमें आग की स्मृति होती है। मिर्च की कड़वाहट और अन्य इन्द्रिय-संवेदन एवं प्रत्यक्षण हमें याद रखने में सहायक होते हैं। ये सब इन्द्रिय जन्म स्मृति ही तो हैं ।

(ix) शारीरिक स्मृति- शारीरिक अंगों के बार-बार कार्य करने पर शारीरिक स्मृति होती है। इसका आधार शारीरिक अभ्यास है और इसके कारण व्यक्ति काम में गलती नहीं करता है। हम रोज दाहिने हाथ स भोजन करते हैं, खाना चाहे जहाँ और जब खायेंगे दाहिने हाथ का ही प्रयोग करेंगे।

(x) मनोवैज्ञनिक स्मृति- इसे स्वाभाविक और मच्ची स्मृति भी कहते हैं। इसमें मनोविज्ञान के सिद्धान्तों एवं नियमों के अनुसार स्मरण करने की क्रिया होती है। उदाहरण के लिए हरबाट के पंचपदी प्रणाली से पहले पाठ को बालक के पूर्व ज्ञान से सम्बद्ध करते पुनः पाठ प्रस्तुत करते हैं, उसकी व्याख्या होती है, नए पाठ पर बालक से प्रश्न पूछते हैं और अन्त में पूरे पाठ की पुनरावृत्ति होती है। यह क्रमबद्ध स्मरण मनोवैज्ञानिक स्मृति है। इसमें बालक की रुचि, जिज्ञासा, प्रयलशीलता, मानसिक योग्यता का प्रयोग एवं अभ्यास आदि के आधार पर काम होता है। इसीलिए यह स्वाभाविक स्मृति होती है।

(xi) वैयक्तिक स्मृति- व्यक्ति जब अपने निजी जीवन में घटित पूर्व अनुभवों को पुनः मानस-पटल पर प्रकट करता है तो वहाँ वैयक्तिक स्मृति होती है। यह पुनः स्मरण किसी उत्तेजना से हो सकता है जो निजी न भी हो । उदाहरण के लिए जब हम दूसरों को दौड़ने में गिरता देखते हैं तब हमें दौड़ में गिरने का स्मरण होता है। मास्टर किसी लड़के को पीटता है तब हमें भी अन्य मास्टरों की मार याद आती है। यह वैयक्तिक स्मृति है।

(xii) अवैयक्तिक स्मृति (Impersonal Memory)-अवैयक्तिक स्मृति निजी अनुभव पर आधारित नहीं होती है। विज्ञान में जो प्रयोग वैज्ञानिकों ने किए हैं अथवा अन्वेषकों एवं शोधकर्ताओं ने जो तथ्य प्रकट किए हैं वे सब हमें पुस्तकों में मिलते हैं। अगर हम पुस्तकों को पढ़ कर इन सब को स्मरण करते हैं तो वह वैयक्तिक स्मृति ही होती है।

(xiii) सहचरी स्मृति (Associative Memory)- इस प्रकार की मूर्ति साहचर्य के द्वारा प्राप्त होती है। मान लीजिए आप भूगोल में समुद्र के बारे में बता रहे हैं तो समुद्र के वर्णन के साथ समुद्र के जहाज, समुद्र में पाई जाने वाली चीजें मोती, सीपी, मूंगा, शंख आदि का भी स्मरण हो जाता है, यह सहचरी स्मृति होगी। विद्यालय का स्मरण होते ही अध्यापक एवं साथियों की याद आना सहचरी स्मृति है।

(xiv) संवेगात्मक स्मृति (Emotive Memory)- इस स्मृति के कारण हमारे संवेग भी प्रकट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए हम 1942 ई० की स्वतंत्रता की लड़ाई इतिहास में पढ़ते हैं। इसे पढ़ने पर हमें क्रोध, भय, दुःख, के संवेगों की अनुभूति होती है, इसलिए यहाँ संवेगोत्पादक स्मृति होती है। रोते हुए बालक की माँ “हौवा”, “देव बाबा” आदि कह कर भयोत्पन्न करती है और यहाँ भी संवेगोत्पादक स्मृति होती है।

(xv) शब्दशः स्मृति (Verbation Memory)- यह स्मृति उस समय मालूम पड़ती है जब हम किसी पढ़े हुए या सुने हुए पाठ का एक-एक शब्द उसी क्रम में दोहरा देते हैं। अध्यापक के प्रश्न का उत्तर एक बालक ने दिया उसे अन्य सभी बालक स्मरण करते हैं। यदि इन लोगों के द्वारा शब्दशः उसकी आवृत्ति होती है तो वहाँ शब्दशः स्मृति पाई जाती है। इसमें तात्कालिक एवं रटन्त स्मृति का मेल पाया जाता है परन्तु यह वैयक्तिक, मनोवैज्ञानिक एवं प्राकृतिक स्मृति से भी सम्बन्धित पाई जाती है।

अच्छी स्मृति के लक्षण

मनोवैज्ञानिक अध्ययनों ने अच्छी स्मृति के कुछ लक्षणों को प्रकट किया है। इनको हम यहाँ उद्धृत करेंगे-

(i) स्मरण में शीघ्रता (Rapidity in Memorizing)-  यदि पढ़ी हुई या देखी-सुनी चीज शीघ्र धारण हो जाय और समय के अनुसार शीघ्र ही प्रयोग में आ जावे तो वहाँ यही लक्षण पाया जाता है। इसमें अवबोधन एवं धारण में शीघ्रता पाई जाती है।

(ii) धारण में स्थायीपन (Permanent Retention)–  जहाँ स्थायी रूप से किसी भी सीखी वस्तु को धारण और ग्रहण कर लेते हैं, कभी भूलते नहीं जब चाहें उसे पुनः स्मरण करते हैं वहाँ यही लक्षण होता है।

(iii) ज्ञान अनुभव का उपयोग करना- अच्छी स्मृति के कारण जो अनुभव और ज्ञान हमें मिलता है उसे हम उपयोग में भी ला सके, जब और जैसे हम चाहें।

(iv) व्यर्थ की चीजों को छोड़ देना- स्मरण करने में भी अच्छी स्मृति के फलस्वरूप हमें उपयोगी एवं व्यर्थ की चीजों में चुनाव करना पड़ता है। अच्छी स्मृति व्यर्थ की चीजों को छोड़कर उपयोगी चीजों को धारण करती है।

(v) पुनः स्मरण सही-सही होना-अच्छी स्मृति का यह एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है कि उत्तेजक के अनुसार सही-सही पुनरुत्पादन हो।

(vi) सहज समायोजन शीलता- अच्छी स्मृति के कारण ही उत्तेजक के अनुकूल व्यक्ति समायोजन भी करने में समर्थ होता है। मान लिया आपसे पूछा गया कि बरसात में भोजन क्यों नहीं पचता है तो आपने पानी की गन्दगी, पेट की गड़बड़ी, क्रियाशीलता की कमी में से किसी को तुरन्त चुनकर बता दिया । यह प्रश्न के अनुसार तुरन्त जो आ जावे वह होता है।

स्मृति पर प्रभाव डालने वाले तत्व

स्मृति पर प्रभाव डालने वाले तत्व निम्न हैं-

(क) मानसिक स्मृति एवं मस्तिष्क की रचना

(ख) अभिप्रेरण

(ग) सामग्री की उपयोगिता एवं सार्थकता

(घ) क्रिया एवं वस्तु का अभ्यास बार-बार करना

(ङ) अधिगम एवं स्मरण की विधियाँ

(च) पाठ्य सामग्री की नवीनता, स्पष्टता, उत्तेजना

(ज) स्मरण का संकल्प करना

(झ) समय-समय परीक्षण होना

(ञ) जीवन से ज्ञान-अनुभव की सम्बन्धित होना

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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