शिक्षाशास्त्र / Education

उ0 प्रo राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय | विश्वविद्यालय का उद्देश्य तथा लक्ष्य | विश्वविद्यालय की विशेषताएँ एवं सुविधाएँ

उ0 प्रo राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय | विश्वविद्यालय का उद्देश्य तथा लक्ष्य | विश्वविद्यालय की विशेषताएँ एवं सुविधाएँ

उ0 प्रo राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय

उ.प्र. 0 राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित उत्तर प्रदेश का एक मात्र मुक्त विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, अधिनियम 1999 उत्तर प्रदेश, (अधिनियम संख्या 10, 1999 ) के अन्तर्गत हुई। यह विश्वविद्यालय अपनी स्थापना वर्ष से ही सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के अधिसंख्य जन-समुदाये में, उच्च शिक्षा एवं ज्ञान-कौशल की अलख जगाने की दिशा में प्रयत्नशील है। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य शिक्षा एवं ज्ञान में अभिवृद्धि करना है। इसके लिए विश्वविद्यालय गुणवत्तायुक्त, मूल्योन्मुखी एवं समसामयिक उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। इस विश्वविद्यालय का नामकरण हिन्दी के प्रबल समर्थक, प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन के नाम पर किया गया। विश्वविद्यालय शिक्षा द्वारा गृहणियों, विकलांगों, दलितों, अर्थिक रूप से विपन्न वर्ग, शिक्षा से विरत व्यक्तियों तथा सुदूर ग्रामीण अंचलों के निवासियों तक उच्च शिक्षा को पहुँचाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इस विश्वविद्यालय ने अल्प समय में ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवीन कीर्तिमान स्थापित किये हैं।

इस विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश है। विश्वविद्यालय द्वारा उच्च शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने हेतु सम्पूर्ण प्रदेश में लगभग 700 अध्ययन केन्द्रों की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय की शैक्षणिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित, सुदृढ़ एवं सुसंचालित करने हेतु प्रदेश के सुदूर जनपदों में 10 क्षेत्रीय केन्द्रों की भी स्थापना की गई है। अध्ययन केन्द्रों के माध्यम से वर्तमान में लगभग 60000 से अधिक शिक्षार्थी 107 विभिन्न प्रकृति के कार्यक्रमों में पंजीकृत हैं। दूरस्थ शिक्षार्थी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के योग्य बन सरकें, इसके लिए विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ शिक्षार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न रोजगारपरक, व्यावसायिक तथा कौशल विकास कार्यक्रमों को संचालित करता है। सामुदायिक केन्द्र की स्थापना की ओर भी विश्वविद्यालय तीव्र गति से अग्रसर है। विश्वविद्यालय में संचालित अनेक कार्यक्रम समाज में अत्यन्त लोकप्रिय हैं।

दूरस्थ शिक्षा में अधिगम संसाधनों के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय सूचना एवं तकनीकी शिक्षा एवं प्रयोग पर अधिकाधिक बल देता है। शिक्षार्थियों की सुविधाओं को दृष्टिगत करते हुए तथा श्रम व समय की बचत के लिए विश्वविद्यालय ने दोनों सत्रों के प्रवेश, प्रवेशपत्र, अंक पत्र, अधिन्यास आदि को पूर्णतया ऑनलाइन कर दिया है। सूचना तकनीकी की और आगे बढ़ते हुए विश्वविद्यालय ने मैसिव ओपेन ऑन लाइन कोसेंस MOOCS का विकास कर लिया है। विश्वविद्यालय द्वारा निर्मित स्वअध्ययन सामग्री SLM को भी ऑनलाइन किये जाने की प्रक्रिया शीघ्र ही प्रारम्भ की जाएगी। सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय ने अपना मोबाइल ऐप तथा पॉलिसी विकसित की है। जिसके माध्यम से शिक्षार्थियों को विश्वविद्यालय से सम्बन्धित समस्त सूचनाओं एवं गतिविधियों का ज्ञान दूर बैठकर भी प्राप्त हो जाता है। जन साधारण के मध्य दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को प्रभावी रूप में प्रस्तुत करने के लिए विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट को फेसबुक, यू-टूयूब, ट्विटर आदि सोशल मीडिया उपकरणों से युक्त आडियो विजुअल लैब स्थापित किया गया है, जिससे समस्त क्षेत्रीय केन्द्रों को सम्बद्ध कर वीडियो कॉन्फ्रीसिंग के माध्यम से उच्च कोटि के व्याख्यानों को प्रसारित किये जाने की योजना है। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर में स्मार्ट क्लास की व्यावस्था तीव्र गति से की जा रही है।

भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ किये गये ‘डिजिटल इण्डिया’ अभियान को सार्थकता प्रदान करते हुए सूचना एवं तकनीकी के प्रयोग द्वारा विश्वविद्यालय पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपने समस्त कार्य में पेपरलेस पद्धति पर बल दे रहा है।

विश्वविद्यालय तीन परिसरों गंगा, यमुना तथा सरस्वती परिसर में संचालित है। गंगा परिसर में प्रशासनिक भवन, कुलपति कार्यालय तथा कुलपति आवास स्थित है। गंगा परिसर में ही अतिथि गृह, कैण्टीन, पोस्ट ऑफिस, बैंक, योग सेण्टर, प्रसाधन भवन, मेडिकेयर सेण्टर आदि स्थापित हैं। सरस्वती परिसर का उपयोग शैक्षणिक कार्यों के लिए किया जाता है। इस परिसर में ही केन्द्रीय पुस्तकालय का भवन, लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार, याज्ञवल्क्य ग्रन्थालय, गार्गी सभागार, चरखा लैब तथा सभी विद्या शाखाएँ अवस्थित हैं। इस परिसर में लगभग एक हजार व्यक्तियों की क्षमता वाला ऑडिटोरियम (प्रेक्षागृह) निर्माणाधीन है।

विश्वविद्यालय के तृतीय यमुना परिसर में क्षेत्रीय केन्द्र इलाहाबादं के नव निर्मित भवन में क्षेत्रीय केन्द्र इलाहाबाद का संचालन किया जा रहा है। साथ ही इस परिसर में विश्वविद्यालय के अध्यापकों एवं कर्मचारियों के लिए आवास का निर्माण प्रक्रियाधीन है।

‘ग्रीन कैम्पस, क्लीन कैम्पस’ की अवधारणा एवं पर्यावरण के संतुलन को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया गया है तथा परिसरों में सोलर लाइट की भी व्यवस्था की गई है। प्रशासनिक एवं शैक्षणिक परिसरों में सुरक्षा के लिए सी.सी.टी.वी. कैमरे की भी व्यवस्था है।

वर्तमान में विश्वविद्यालय शैक्षणिक गतिविधियों में अपना स्थान सुदृढ़ कर चुका है। शिक्षार्थियों एवं प्राध्यापकों के शैक्षिक सम्वर्द्धन एवं उन्नयन हेतु विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, व्याख्यान, प्रशिक्षण कार्यक्रमों आदि का आयोजन करता है। वर्तमान में इनकी संख्या सौ से अधिक हो चुकी है। विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षार्थियों के सर्वांगीण विकास एवं उन्हें व्यवस्थित जीवन जीने की कला सिखाने हेतु ‘मुक्तिप्रद परिवर्तन अध्ययन केन्द्र की स्थापना की गई। भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों के ज्ञान हेतु महापुरुषों के नाम पर विश्वविद्यालय में व्याख्यान मालाएं आयोजित की जाती हैं। इसी शृंखला में प्रतिवर्ष “राजर्षि पुरुषात्तमदास टण्डन स्मृति व्याख्यानमाला’ आयोजित की जाती है। शिक्षा को सामाजिकता एवं राष्ट्रीयता से जोड़ते हुए प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पर्वों का वृहद आयोजन विश्वविद्यालय में किया जाता है। इसके साथ ही शिक्षाथियों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए महापुरुषो की जयन्तियों, विश्व योगदिवस, पर्यावरण दिवस, शिक्षा दिवस, विश्व एड्स दिवस, सांख्यिकी दिवस आदि के अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों, गोष्ठियों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन विश्वविद्यालय करता है। अन्तर्विश्चविद्यालयी प्रतियोगिताओं के अन्तर्गत निबन्ध प्रतियोगिताओं, भाषण प्रतियोगिताओं आदि के साथ-साथ इस वर्ष युवा संगम का भव्य आयोजन किया गया शोध की दिशा में सार्थक प्रयास करते हुए श्री अटल बिहारी बाजपेई पीठ’ की स्थापना तथा ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय पीठ’ की स्थापना विश्वविद्यालय द्वारा की गई है। इनके माध्यम से विश्वविद्यालय की शैक्षणिक कार्यशैली का जीवन्त उदाहरण यहाँ की दिनों-दिन बढ़ती हुई छात्र संख्या है। वर्तमान में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली मात्र शिक्षा ग्रहण करने का विकल्प न होकर शिक्षार्थियों की पहली पसन्द बन गयी है। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सभी कार्यक्रम सक्षम निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त हैं तथा इनमें से अनेक कार्यक्रम ऐसे हैं, जो जनसामान्य के मध्य अत्यन्त लोकप्रिय हैं। विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा एवं गरिमा के कारण अनेक उच्च पदस्थ अधिकारियों, प्रख्यात चिकित्सकों, समाज के विशिष्ट नागरिकों एवं सम्मानित व्यवसायियों ने यहाँ से शिक्षा ग्रहण की है।

विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त स्व-अध्ययन सामग्री अत्यन्त उच्चकोटि की एवं स्तरीय है। स्व-अध्ययन सामग्री का लेखन प्रख्यात विषय-विशेषज्ञों द्वारा सरल-सुबोध भाषा में कराया जाता है। समय-समय पर विषय-विशेषज्ञों की समिति द्वारा पाठ्यक्रमों का पुनर्निरीक्षण किया जाता है। जिससे स्व-अध्ययन सामाग्री की समसामयिकता एवं उपयोगिता बनी रहती हैं। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परामर्श सत्रों के मध्य अनुभवी, कुशल, विषय विशेषज्ञों द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा दो सत्रों में ‘वर्ष पर्यन्त प्रवेश’ की तथा वर्ष में दो बार परीक्षा की व्यवस्था की गई है। विश्वविद्यालय द्वारा त्रिस्तरीय मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है।

विश्वविद्यालय अद्यतन 11 दीक्षान्त समारोहों का भव्य एवं सफल आयोजन कर चुका है। इन दीक्षान्त सगारोहों में उत्तीर्ण शिक्षार्थियों को उपाधि एवं प्रत्येक विद्याशाखा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले शिक्षार्थी को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जी के कर कमलों से स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता है। वर्तमान में विश्वविद्यालय द्वारा 20 स्वर्ण पदक प्रदान किये जा रहे हैं।

राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय का उद्देश्य-

विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से असंख्य जनसमुदाय के में शिक्षा और ज्ञान के प्रसार में अभिवृद्धि करेगा और अपने क्रियाकलापों को संचालित करने में अनुसूची में विनिर्दिष्ट उद्देश्यों का सम्यक ध्यान रखेगा।

राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय का लक्ष्य-

  1. हम पहुँचे वहाँ, पहुँचा ना कोई जहाँ’, की सार्थकता।
  2. उच्चशिक्षा में दूरस्थ शिज्ञिक्षा विधि के माध्यम से उत्कृष्टता की प्राप्ति।
  3. व्यावसायिक एवं रोजगारपक पाठ्यक्रम।
  4. निर्थन एवं वंचित को उच्च शिखा के अवसर उपलब्ध करवाना।
  5. महिला सशक्तिकरण हेतु समुचित पाठ्यक्रम।
  6. सेवारत वर्ग को शैक्षणिक उत्थान हेतु सहयोग प्रदान करना।
  7. लचीली शैक्षणिक व्यवस्था द्वारा ज्ञान पिपासुओं को लाभ पहुँचाना।
  8. एक आभासीय विश्वविद्यालय का स्वरूप ग्रहण करना।

राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय की विशेषताएँ एवं सुविधाएँ-

  1. ‘कभी भी, कहीं भी, कोई भी’ की संकल्पना पर विश्वविद्यालय में वर्ष पर्यन्त प्रवेश की व्यवस्था ।
  2. दो सत्रों में प्रवेश- जुलाई सत्र, जनवरी सत्र।
  3. शिक्षण की व्यवस्था सम्पूर्ण प्रदेश में अवस्थित अध्ययन केन्द्रों के माध्यम से।
  4. दस क्षेत्रीय केन्द्रों- इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ बरेली, मथुरा गाजियाबाद, झाँसी, कानुपुर तथा मेरठ द्वारा शैक्षिक तथा प्रशासनिक गतिविधियों का सुचारु संचालन।
  5. विश्वविद्यालय वेबसाइट पर उपलब्ध ई प्रवेश फार्म के माध्यम से ऑनलाइन प्रवेश की सुविधा।
  6. विभिन्न स्तर के 107 कार्यक्रम संचालित।
  7. दो वर्षीय एम. बी. ए. कार्यक्रम ।
  8. बी.एड./बी.एड. विशिष्ट कार्यक्रमों के अतिरिक्त अन्य कार्यक्रमों में प्रवेश हेतु स्थान (सीटों की संख्या) असीमित।
  9. शिक्षार्थियों के लिए उम्र का कोई बन्धन नहीं।
  10. सरकारी तथा गैरसरकारी सेवारत व्यक्ति भी मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश ले सकता है।
  11. सरल, सुबोध, समसामयिक स्व-अध्ययन सामग्री विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षार्थियों के पते पर प्रेषित की जाती है।
  12. अध्ययन केन्द्रों पर परामर्श सत्रों का आयोजन किया जाता है।
  13. दूरस्थ शिक्षा पद्धति के अन्तर्गत शिक्षार्थियों को कार्यक्रम के द्वितीय एवं तृतीया वर्ष के प्रवेश के लिए परीक्षाफल घोषित होने की प्रतीक्षा नहीं करनी होती है।
  14. कार्यक्रम पूर्ण करने के लिए न्यूनतम के साथ अधिकतम अवधि का प्रवधान।
  15. विश्वविद्यालय के नियमानुसार कार्यक्रम-परिवर्तन, विषय-परिवर्तन, अध्ययन केन्द्र-
  16. परिवर्तन तथा परीक्षाकेन्द्र परिवर्तन का भी प्रावधान।
  17. अधिन्यास, प्रवेश पत्र, अंक पत्र आदि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध।
  18. प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में परीक्षा केन्द्र की उपलब्धता।
  19. उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के किसी कार्यक्रम के प्रवेशार्थी/शिक्षार्थी अन्य विश्वविद्यालय में भी छात्र रह सकते है, परन्तु उसी प्रकृति अर्थात् उसी स्तर पर उपाधि, डिप्लोमा एवं प्रमाण-पत्र का्यक्रम में त्रवेश नहीं ले सकते हैं। दूरस्थ शिक्षा पद्धति अथवा दूरस्थ एवं परम्परागत शिक्षा पद्धति में उसी विश्वविद्यालय अथवा विभिन्न विश्वविद्यालय/संस्थाओं में कोई अध्ययनरत शिक्षार्थी निम्न संयोजन के अनुसार कार्यक्रमों में प्रवेश लेने का विकल्प चुन सकता है।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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