संगठनात्मक व्यवहार / Organisational Behaviour

अभिप्रेरण से आशय एवं परिभाषा | अभिप्रेरण प्रक्रिया

अभिप्रेरण से आशय एवं परिभाषा | अभिप्रेरण प्रक्रिया | Meaning and definition of motivation in Hindi | Motivational process in Hindi

अभिप्रेरण से आशय एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Motivation)

अभिप्रेरण शब्द ‘प्रेरणा’ (Motive) से निकला है। प्रेरणायें मानवीय आवश्यकताओं की अभिव्यक्ति को कहते हैं, जिसका आशय है – “साभिप्रायिक आवश्यकतायें'(Driver needs)। सरल शब्दों में, इसका अर्थ है कि जब कोई मनुष्य कोई भी कार्य करता है तो उसके पीछे उसकी कोई आवश्यकता अवश्य होती है जो उसे कार्य करने के लिये प्रेरित करती है। काम करने वाली इन आवश्यकताओं को प्रेरणा कहते हैं और व्यक्तियों को काम करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से इन आवश्यकताओं का अनुभव कराने की प्रक्रिया को अभिप्रेरण कहा जाता है। इस प्रकार अभिप्रेरण वह क्रिया है जिसके द्वारा कर्मचारियों को कोई आवश्यक्ता अनुभव कराके काम करने के लिये प्रेरित किया जाता है। यही भाव अभिप्रेरण की निम्न परिभाषाओं से भी स्पष्ट है-

(1) माइकेल जे0 जूसियस के शब्दों में, “अभिप्रेरण स्वयं को अथवा किसी अन्य व्यक्ति को एक विशेष प्रकार से कार्य करने के हेतु प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया है अथवा वांछित प्रक्रिया प्राप्त करने के लिये सही बटन दबाना है।

(2) डेल एस० बीच के शब्दों में, “अभिप्रेरण को, एक  लक्ष्य या पुरस्कार की प्राप्तिक्षकरने के लिये अपनी शक्ति के प्रयोग करने की तत्परता के रूप से परिभाषित किया जा सकता है।”

(3) मैकफारलैण्ड के अनुसार, “अभिप्रेरण का विचार मुख्यतः मनोवैज्ञानिक है। यह उन कार्यकारी शक्तियों से सम्बन्धित है, जो व्यक्तिगत रूप में कर्मचारी को अथवा उसके अधीनस्थ को निर्धारित दिशा में कार्य करने अथवा न करने के लिये प्रेरित करती है।”

(4) केरोल शार्टल के अनुसार, “किसी निश्चित दिशा में गतिमान होने अथवा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये निश्चित प्रेरणा या तनाव ही अभिप्रेरण है।”

सरल शब्दों में, “अभिप्रेरण से आशय उन समस्त क्रियाओं से है जो व्यक्तियों को अधिक एवं श्रेष्ठ कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।”

अभिप्रेरण प्रक्रिया

(Process of Motivation)

अभिप्रेरण प्रक्रिया कुछ निश्चित चरणों (Steps) में विभाजित होती हैं। अभिप्रेरण उठाये जाने वाले मुख्य कदम निम्नलिखित हैं-

(1) उद्देश्यों का निर्धारण (Determination of Objectives) – कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने के पूर्व सर्वप्रथम अभिप्रेरण के उद्देश्यों का निर्धारण करना आवश्यक होता है। अभिप्रेरण उद्देश्यों का निर्धारण कर लेने से अभिप्रेरण के स्तर, साधनों, विधियों, दिशा आदि के बारे में उपयुक्त निर्णय लिये जा सकते हैं।

(2) प्रेरणाओं की पहचान (Identification of Motives) – लक्ष्यों के पश्चात् प्रबन्धक को कर्मचारियों की भावनाओं व आवश्यकताओं का अध्ययन करके समय विशेष पर प्रदान की जाने वाली प्रेरणाओं की पहचानन कर लेनी चाहिये। प्रेरणाओं की उपयुक्त पहचान के लिये कर्मचारी के वैयक्तिक भिन्नताओं, मनोदशा, स्थिति, पद, आंकाक्षाओं आदि को ध्यान में रखना चाहिये।

(3) प्रेरणाओं का समूहीकरण (Grouping the Motives) – विभिन्न स्तरों व पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों की प्रेरणाओं को निश्चित समूहों, जैसे- आन्तरिक एवं बाह्य, वित्तीय एवं अवित्तीय, वैयक्तिक एवं सामूहिक आदि में विभाजित कर लेना चाहिये।

(4) सिद्धान्त एवं तकनीक चयन (Selecting the Theories and Techniques of Motivation)- कर्मचारियों को प्रभावी ढंग से उत्प्रेरित करने के लिये सिद्धान्तों व तकनीकों का चयन किया जाना चाहिये। अभिप्रेरण तकनीकें व्यावहारिक एवं न्यूनतम लागत वाली होनी चाहिये। मास्लो, हर्जबर्ग, एल्डफर, मैक्लीलैण्ड आदि विचारकों के सिद्धान्त अधिक व्यावहारिक सिद्ध हुये  हैं। अभिप्रेरण के प्रक्रिया-प्रधान व विषय वस्तु सिद्धान्त अलग-अलग दिशाओं व प्रबन्ध स्तरों पर कार्य करने हेतु प्रतिपादित किये गये हैं।

(5) विभिन्न चरों का अध्ययन (Studying the Different Variables) – अभिप्रेरण की प्रक्रिया विभिन्न चरों अथवा घटकों के पारस्परिक सम्बन्ध से निर्मित होते हैं। अतः प्रबन्धक को इन चरों, जैसे- प्रेरणा (Motive), प्रयास (Effort), निष्पादन (Performance), भूमिका अवबोधन (Role Perceptions), पुरस्कार (Reward), कार्य सन्तुष्टि (Job Satisfaction) आदि के आपसी सम्बन्धों पर अध्ययन कर लेना चाहिये ताकि अभिप्रेरण प्रक्रिया को प्रभावपूर्ण बनाया जा सके।

(6) निष्पादन का मापन (Measurement of Perforamance)- प्रबन्धकों को प्रत्येक कर्मचारी के निष्पादन का निरपेक्ष मूल्यांकन करना चाहिये। निष्पादन मूल्यांकन में किसी प्रकार का भेदभाव या पक्षपात नहीं किया जाना चाहिये। यह मूल्यांकन निर्धारित प्रमापों के आधार पर किया जाना चाहिये।

(7) पुरस्कार प्रदान करना (Rewarding the Employee)- निष्पादन का मूल्यांकन करने के पश्चात् प्रत्येक कर्मचारी को उनके निष्पादन स्तर के अनुरूप पुरस्कार प्रदान करने चाहिये। पुरस्कार आवश्यकता के अनुसार तथा उचित समय पर प्रदान किये जाने चाहिये। पुरस्कार गोपानीय नहीं रखे जाने चाहिये।

(8) अनुवर्तन (Follow-up)- अभिप्रेरणा प्रदान करने के पश्चात् अभिप्रेरण तकनीकों, विधियों, योजनाओं व सिद्धान्तों का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिये। अभिप्रेरण के प्रभाव को कर्मचारियों के निष्पादन स्तर, कार्य, सन्तुष्टि, रचनात्मक प्रवृत्तियों आदि द्वारा मापा जा सकता है। अनुवर्तन द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि अभिप्रेरण योजनायें वांछित परिणाम उत्पन्न कर रही हैं अथवा नहीं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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