भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र | सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान व विकास | सार्वजनिक क्षेत्र की उपलब्धियाँ
भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र | सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान व विकास | सार्वजनिक क्षेत्र की उपलब्धियाँ
भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector)-
सार्वजनिक क्षेत्र को सरकारी क्षेत्र भी कहते है। प्रो0 राय चक्रवर्ती के अनुसार, “राजकीय उपक्रम एक ऐसा व्यावसायिक स्वरूप हैं, जो सरकार के द्वारा नियंत्रित व संचालित होता है। अतः सरकार ही उसकी एक मात्र मालिक या बड़ी अंशधारक होती है।”
सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान व विकास (Role and Growth of Public Sector)-
आज समाजवादी की पहचान सार्वजनिक क्षेत्र से है। सार्वजनिक क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव को देखकर आज विकासशील देश भी आर्थिक विकास के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को महत्वपूर्ण स्थान दे रहे हैं।
(1) सार्वजनिक क्षेत्र विकास की ओर उन्मुख (Public Sectors Orientation Toward Development)- सार्वजनिक क्षेत्र का सर्वाधिक योगदान विकसोन्मुख राष्ट्रों को सुदृढ़ अर्थव्यवस्था प्रदान करने में हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में ऐसी कार्य नीति अपनाई जाती है, जो पूँजीगत वस्तु नीति पर निर्भर विकास प्रक्रिया से सम्बन्धित होती है। जैसे- आधारभूत उद्योग जो अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाते हैं, ऐसे उद्यमों की स्थापना निजी क्षेत्र में असम्भव नहीं, तो कठिन अवश्य है।
(2) आधारभूत संरचना का विकास (Development of Based Strategy)- देश में औद्योगिक विकास के लिए औद्योगिक वातावरण उपलब्ध कराना अतिे आवश्यक कार्य है। अतः आधारभूत संरचना जैसे- रेलवे, सड़क, जल, वायु, यातायात, विद्युत, ईंधन आदि उपलब्ध कराने का कार्य निजी क्षेत्र अपने हाथ में नहीं ले सकता है क्योंकि बन्दरगाह, सड़क, बस स्टैण्ड, कालोनी निर्माण, विद्युतीकरण आदि सार्वजनिक क्षेत्र सरलता से देशवासियों को दे सकता है। इन आधारभूत संरचना के कार्यों से औद्योगिकरण पोषित होता है।
(3) आवश्यक संसाधनों को एकत्र करना (Collection of Necessary)- सार्वजनिक क्षेत्र का संसाधनों को एकत्र करने में महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र जो एक सरकारी क्षेत्र है, पूँजी जैसे महत्वपूर्ण संसाधन को सरलता से जुटा सकता है, जैसे- हीनार्थ प्रबन्धन, विश्व बैंक अथवा निक्षेपों से पूँजी एकत्रित की जा सकती है। किन्तु निजी क्षेत्र को आवश्यक संसाधन जुटाने में कठिनाई होती है।
(4) अर्थव्यवस्था पर प्रभावपूर्ण नियंत्रण (Effective Control On Economy)- अर्थव्यवस्था पर प्रभावपूर्ण आर्थिक नियंत्रण करने में सार्वजनिक क्षेत्र का विशेष योगदान है. क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र से उत्पादित वस्तुओं की कीमतें संतुलन में रहें, अर्थव्यवस्था पर सरकार का प्रभावपूर्ण नियंत्रण हो, इस दृष्टि से सरकार राजकोषीय नीति, लाइसेन्स व्यवस्था, राशनिंग व्यवस्था आदि अपनाती है।
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का विकास (Development of Public Sector in India)- स्वतंत्रता से पूर्व सार्वजनिक क्षेत्र नहीं था, बल्कि देश में रेलवे, बन्दरगाह व सुरक्षा उद्योग ब्रिटिश शासन के स्वामित्व में संचालित थे। इसके अलावा देश के शासन को सफलतापूर्वक चलाने व इंग्लेण्ड के उद्योगो को पोषित करने हेतु देश के कच्चे माल को इंग्लैण्ड भेजना व निर्मित माल को बेचने में भारतीय श्रम का उपयोग किया जाता था।
सार्वजनिक क्षेत्र की उपलब्धियाँ (Achievements of the Public Sector)-
सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित है-
- सार्वजनिक क्षेत्र देश के उद्देश्यों के अनुकूल (Public Sector is According to the Purposes of the Countrs) – देश के लिए आधारभूत उद्योग, उपयोगी सेवाये व भारी निवेश निश्चित ही एक उपलब्धि है। इसके अन्तर्गत सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश क्रमशः संचार, परिवहन, सिंचाई सार्वजनिक भवन, व्यापार, पर्यटन व वस्तुओं के उत्पादन में हुआ है। इसी प्रकार आधारभूत उद्योग जैसे लोहा एवं इस्पात, विद्युत, मशीन निर्माण, उर्वरक आदि के साथ-साथ यह क्षेत्र कुछ सेवाओं एवं उत्पादन में एकाधिकार प्राप्त कर चुका है। अतः सार्वजनिक क्षेत्र देश के उद्देश्य के सर्वथा अनुकूल है।
- बड़ी मात्रा में पूँजी निर्माण या निवेश (Capital Formation of Investment in Large Quantity)-
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र ने पूँजी-निर्माण को गतिशील किया है, क्योंकि सार्वजनिक उपक्रमों का निवेश निरन्तर बढ़ने के कारण पूँजी की सीमान्त क्षमता (MEC) ही नहीं बढ़ रही है, बल्कि पूँजी-निर्माण को भी प्रोत्साहन मिल रहा है।
- अविकसित क्षेत्रों का विकास (Development of Undeveloped Areas)- भारत के सार्वजनिक उपक्रमों एव सार्वजनिक विकास कार्यों ने देश के पिछड़े एवं अविकसित क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता दी है, क्योंकि निजी क्षेत्र ने विकास को केन्द्रित करके कुछ महानगरों तक सीमित कर पिछड़े क्षेत्रों को जन्म दिया है, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र ने पिछड़े क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता देकर सड़कें, बिजली, पेयजल सुविधा प्रदान की है। सार्वजनिक उपक्रमों पर आज जितना निवेश हुआ है उसका 55% भाग देश के 10% पिछड़े या अविकसित क्षेत्रों पर व्यय हुआ।
- रोजगार में वृद्धि (Increase in Employment)- भारतवर्ष के सार्वजनिक क्षेत्रों के प्रमुख उपक्रम जैसे- उद्योग, खनिज, बागान, विद्युत, गैस, वाणिज्य, संचार एवं परिवहन आदि हैं, जिनमें लाखों लोग रोजगार युक्त हैं, जिन्हें सरकारी कर्मचारी कहते हैं। देश भर में सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में 1956 तक लगभग 52 लाख लोग रोजगार युक्त थे। वर्तमान समय तक सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार प्राप्त लोगों संख्या 194 करोड़ 18 लाख हो गई है।
- सामाजिक हितों को संरक्षण (Patronage to Social Interests)- सार्वजनिक क्षेत्र ने सामाजिक हितों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान किया है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के विस्तार से न केवल सार्वजनिक उपक्रम ही स्थापित हुए हैं, बल्कि बैंकिंग संस्थाओं के राष्ट्रीयकरण ने भारी सामाजिक हित किया है।
- आधारभूत उद्योगो का विकास (Development of Based Industries)- सार्वजनिक क्षेत्र के पूँजीगत उद्योग जिनकी स्थापना निजी क्षेत्र में सम्भव नहीं है, उन्हे सार्वजनिक क्षेत्र ने स्थापित करके औद्योगिक विकास की संरचना में विशेष योगदान दिया है। आधारभूत उद्योगों में लोहा में इस्पात, उर्वरक व रसायन उद्योग, हैवी इंजीनियरिंग, परिवहन आदि प्रमुख हैं। जिनमें हवाई जहाज, रेल का इंजन, अस्त्रेशस्त्र, मशीनरी एवं उपभोक्ता के प्रयोग सम्बन्धी वस्तुएँ प्रमुख हैं। ऐसे उद्योगों को निर्देशन एवं सहायता से लगभग 609 प्रकार की वस्तुएँ उत्पादित हो रही हैं।
- निर्यात एवं आयात (Export and Import) – सार्वजनिक क्षेत्र से निर्यात में वृद्धि हुई है, जिससे भुगतान संतुलन में सहायता मिली है। इसी प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र ने राज्य व्यापार निगम, धातू व्यापार निगम आदि के माध्यम से विदेशी व्यापार का मार्ग प्रशस्त किया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय व्यापार अब तक अनुकूल नहीं हो सका है। भारत के विदेशी नियात 1950-51 ई0 में 606 करोड़ रु0 के थे, जो 2009-10 ई0 तक बढ़कर 563304 करोड़ रु0 पहुंच चुके हैं।
- बीमार उद्योगों को सहायता (Support to Sick Industries)- भारतवर्ष के बीमार उद्योग (Sick Industries) हमारे आर्थिक विकास में एक बाधा है। अत: सार्वजनिक क्षेत्र में बीमार उद्योगों को नियंत्रण में लेकर उन्हें पुनः संचालित किया है। वर्तमान समय तक लगभग 124 बीमार उद्योगों को उत्पादन कार्य में पुनः संलग्न किया गया है। इस प्रकार बीमार उद्योगा काआर्थिक सहायता निश्चय ही प्रमुख उपलब्धि है।
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