विकास की अवधारणा | प्रशिक्षण एवं विकास में अन्तर
विकास की अवधारणा | प्रशिक्षण एवं विकास में अन्तर | Development Concept in Hindi | difference between training and development in Hindi
विकास की अवधारणा
(Concept of Development)
प्रशिक्षण एवं विकास संगठन में साथ-साथ प्रयुक्त किये जाते हैं। सामान्यतः प्रशिक्षण एवं विकास को लोग एक ही नजर से देखते हैं और दोनों का एक ही अर्थ निकालते हैं, किन्तु वास्तव में प्रशिक्षण तथा विकास दोनों अलग-अलग शब्द हैं और दोनों का अर्थ एवं स्वभाव भी अलग है। विकास का अर्थ कर्मचारियों के समेकित विकास (Integrated Development) या सर्वांगीण विकास (All round Development) से है। विकास में वे सभी कार्य सम्मिलित किये जाते हैं, जिसके द्वारा कर्मचारियों के व्यक्तित्व का समग्र विकास किया जाता है। विकास व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास से सम्बन्धित है। सामान्यतः विकास के अन्तर्गत निम्नलिखित क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं :
(i) कार्य निष्पादन की योग्यता में वृद्धि करना।
(ii) मानवीय गुणों का विकास करना।
(iii) विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान बढ़ाना।
(iv) अपनी भूमिकाओं के प्रति अच्छी समझ पैदा करना।
(v) मानवीय अभिरुचियों, प्रवृत्तियों एवं मूल्यों का विकास करना।
(vi) सामाजिक गुणों का विकास करना।
(vii) मानसिक गुणों व व्यक्तित्व का विकास करना।
विकास एक वृहत् अवधारणा है, क्योंकि इसमें सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास की कल्पना निहित है, जबकि प्रशिक्षण विशिट ज्ञान, योग्यता व कार्यकुशलता की अभिवृद्धि से सम्बन्धित है। ‘विकास’ किसी कर्मचारी के सामान्य, तकनीकी, मानवीय एवं सामाजिक योग्यताओं को विकसित करने की प्रक्रिया है, ताकि वह अपनी कार्यकारी भूमिकाओं का प्रभावशाली ढंग से निर्वाह कर सके।
विकास शब्द कर्मचारियों के प्रशिक्षण तथा शिक्षा (Training and Education) से जुड़ा हुआ है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में सर्वांगीण विकास शिक्षा (Education) तथा प्रशिक्षण से ही सम्भव है। शिक्षा का अर्थ सामान्य शिक्षा तथा सैद्धांतिक विज्ञान (Theoretical Knowledge) की प्राप्ति से है, जो व्यक्ति को स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालयों आदि के द्वारा प्राप्त होता है। इसमें व्यावहारिक शिक्षा, पेशेवर शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, सैद्धांतिक शिक्षा आदि भी शामिल किये जाते हैं, जबकि प्रशिक्षण विशिष्ट ज्ञान व कौशल से सम्बन्धित है। विकास प्रशिक्षण एवं शिक्षा की ही उपज है जिसे हम निम्न रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं:
विकास (Development)
शिक्षा (Education)
प्रशिक्षण (Training)
संगठन में प्रशिक्षण के साथ-साथ कर्मचारियों के लिए विकास के कई कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं। आज प्रबन्ध में प्रबन्ध विकास (Management Development) की अवधारणा प्रचलन में है। तेजी से बदलती हुई प्रौद्योगिकी, नवीन मूल्यों तथा परिवर्तनशील वातावरण में कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रम दोनों ही महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हो गये हैं।
प्रशिक्षण एवं विकास में अन्तर
(Differences Between Training and Development)
प्रशिक्षण एवं विकास की अवधारणाओं के आधार पर दोनों में निम्नलिखित अन्तर किये जा सकते हैं.
- अर्थ- ‘प्रशिक्षण’ कर्मचारी के विशिष्ट कार्य के सम्बन्ध में ज्ञान एवं चातुर्य में वृद्धि करने की प्रक्रिया है। यह कार्यक्षमता में वृद्धि करता है। ‘विकास’ कर्मचारी के समग्र व्यक्तित्व के विकास की प्रक्रिया है।
- आवश्यकता- प्रशिक्षण संचालकीय (Operating) स्तर पर आवश्यक होता है। विकास संगठन के मध्य स्तर पर आवश्यक होता है।
- अवधि- प्रशिक्षण अल्पकालीन परिप्रेक्ष्य है, विकास दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य है।
- प्रकृति- प्रशिक्षण कार्य केन्द्रित (Job Centered) प्रकृति का है, विकास जीवन वृत्ति प्रगति (Career Centered) प्रकृति का है।
- कर्मचारी- प्रशिक्षण प्रायः श्रमिकों तथा पर्यवेक्षीय कर्मचारियों को प्रदान किया जाता है।
विकास कार्यक्रम प्रबन्धकीय कर्मचारियों के लिए चलाया जाता है।
- प्रेरणा- प्रशिक्षण की प्रेरणा उच्च अधिकारियों द्वारा दी जाती है। अतः प्रशिक्षक की भूमिका अहम होती है।
विकास की प्रेरणा स्वतः विकसित (Self Development) होती हैं और कार्यकारी पदाधिकारी सिर्फ स्व-विकास के लिए उत्प्रेरित होते हैं।
- काल- प्रशिक्षण वर्तमान काल की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दिया जाता है। विकास भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
- क्षेत्र- प्रशिक्षण का क्षेत्र सीमित है और यह विकास का एक अंग है। विकास का क्षेत्र प्रशिक्षण से काफी व्यापक है। विकास में प्रशिक्षण शामिल है।
- उद्देश्य- प्रशिक्षण विशिष्ट कार्य के लिए कार्यकुशलता वृद्धि के लिए दिया जाता है। विकास का उद्देश्य समग्र विकास से है और यह व्यापक शिक्षा प्राप्ति की क्रिया है।
- उपयोगिता – प्रशिक्षण से कर्मचारी की तकनीकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। विकास कार्यक्रम से प्रबन्धकों की विभिन्न व्यक्तियों, समस्याओं एवं दशाओं में व्यवहार करने की क्षमता में सुधार होता है।
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