अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम में सुधार हेतु कोठारी आयोग के सुझाव
अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम में सुधार हेतु कोठारी आयोग के सुझाव
अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम में सुधार हेतु कोठारी आयोग के सुझाव
(Suggestions of Kothari Commission to improve Teacher Education Programme)
आज अध्यापक शिक्षा अनेक दोषों से ग्रस्त है। वर्तमान अध्यापक शिक्षा संस्थाओं में ये दोष कम होने के स्थान पर और भी अधिक पनप रहे हैं। इन दोषों को दूर करने के लिए कोठारी कमीशन (Kothari Commission 1963-64) ने कुछ ठोस सुझाव दिए हैं जो निम्नलिखित हैं-
(1) अध्यापक शिक्षा में खाई को दूर करना (Removing Isolation of Teacher Education)-
अध्यापक शिक्षा की विश्वविद्यालय एवं स्कूल जीवन से पृथकता (Isolation) का अन्त करने के लिए कोठारी कमीशन ने अपने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-
(a) स्कूलों से पृथकता दूर करना (Breaking Isolation from Schools)- स्कूलों से पृथकता दूर करने के लिए कोठारी आयोग ने निम्न सुझाव दिए हैं-
(i) प्रशिक्षण संस्थाओं के पुराने विद्यार्थियों को आमन्त्रित किया जाए।
(ii) प्रशिक्षण संस्थाओं द्वारा पड़ोस के स्कूलों को मार्गदर्शन दिए जाएँ।
(iii) कुछ चुने हुए स्कूलों के सहयोग से शिक्षण अभ्यास (Practice Teaching) का आयोजन किया जाना चाहिए।
(b) विश्वविद्यालय जीवन से पृथकता को दूर करना (Isolation from University Life)-
विश्वविद्यालय जीवन से पृथकता को दूर करने के लिए कोठारी आयोग ने कहा है-
“शिक्षा को स्वतन्त्र रूप से एक विषय माना जाना चाहिए। उपस्नातक स्तर (Undergraduate level) पर इसे एक इलैक्टिव विषय के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए।”
(c) एक-दूसरे से पृथकता को दूर करना (Breaking the Isolation from one. another)-
प्रशिक्षण संस्थाओं की एक-दूसरे से पृथकता को दूर करने के लिए कोठारी आयोग ने निम्न सुझाव दिए है-
(i) प्री-प्राइमरी और प्राइमरी अध्यापकों की शैक्षिक योग्यताओं और उनके वेतन में वृद्धि की जाए।
(ii) विस्तृत व्यापक कॉलेजों की स्थापना (Establishment of Comprehensive Colleges) की जाए।
(iii) अध्यापक शिक्षा के लिए राज्य बोर्ड गठित किए जाएँ। ये बोर्ड अध्यापक शिक्षा के पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तकें, परीक्षाओं के सम्बन्ध में तथा प्रशिक्षण संस्थाओं की मान्यता के लिए आवश्यक शर्ते आदि को निर्धारित करें।
(2) प्रशिक्षण संस्थाओं के स्तर में सुधार (Improving the Quality of Training Institution)-
प्रशिक्षण संस्थाओं के गुणात्मक स्तर में सुधार के लिए कोठारी आयोग ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-
(i) सेवाकालीन अध्यापकों के लिए ग्रीष्मकालीन संस्थाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।
(ii) दूसरे विषय पढ़ाने के लिए विशेष कोर्स आयोजित किए जाने चाहिएं।
(ii) अध्यापकों की शैक्षिक योग्यताएँ बेहतर होनी चाहिए।
(iv) उत्तम विद्यार्थियों की भर्ती के प्रयत्न किए जाने चाहिएं।
(v) प्राइमरी अध्यापकों की शैक्षिक योग्यताओं में वृद्धि की जानी चाहिए ।
(vi) किसी विशेष विषय के अध्ययन के लिए विशेष नियम होने चाहिएं, जैसे डिग्री के प्रथम वर्ष में पढ़े विषय का ही प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
(vii) सरकारी संस्थाओं में उचित योग्यताओं वाले अध्यापक नियुक्त किए जाने चाहिएं।
(viii) प्राइमरी अध्यापकों की शिक्षा के लिये पत्राचार कोसों और अध्ययन अवकाश की व्यवस्था होनी चाहिये।
(ix) प्रशिक्षण केद्रों में छात्रावास की सुविधा होनी चाहिए।
(x) अध्यापकों के प्रशिक्षण में ट्यूशन फीस नहीं होनी चाहिए।
(xi) प्राइमरी अध्यापकों की शिक्षा के प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाई जाए।
(3) नए प्राध्यापकों को प्रोत्साहन (Encouragement to Newly Appointed Lecturers)-
नए नियुक्त हुए प्राध्यापकों की प्रशिक्षण संस्थाओं के वातावरण को समझने में सहायता की जानी चाहिए। अच्छे अध्यापकों के व्याख्यानों (Lectures) को सुनने का अवसर दिया जाए।
(4) अध्यापक शिक्षा के स्तर में सुधार करना (Improving the Quality of Teacher Education)-
अध्यापक शिक्षा के गुणात्मक स्तर में सुधार के लिए कोठारी आयोग ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-
(i) व्यावसायिक अध्ययनों (Professional Studies) को अभिप्रेरित किया जाना चाहिए।
(ii) छात्र-शिक्षण (Student Teaching) में सुधार किया जाए।
(iii) विषय-ज्ञान (Subject Knowledge) प्रदान करना चाहिए।
(iv) पाठ्यक्रम को दोहराया जाए और उसमें सुधार किया जाए।
(1) अध्यापन विधियों और मूल्यांकन में सुधार किया जाए।
(vi) विशेष कोर्सी और कार्यक्रमों में विकास किया जाना चाहिए।
(5) अध्यापक शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाना (Raising Standards in Teacher Education)
इस कार्य के लिए यू. जी० सी० को एक समिति बनानी चाहिए, जिसमें यू. जी०सी०, N.C.E.R.I… विश्वविद्यालयों के अध्यापकों, शिक्षा राज्य बोर्डों के अध्यापक संगठनों के तथा स्कूलों के प्रतिनिधि सम्मिलित हों। यह कमेटी अध्यापक शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के विकास और सुधार में सहयोग दे।
(6) प्रशिक्षण संस्थाओं का आकार (Size of the Training Institutions)-
कोठारी आयोग ने अध्यापक प्रशिक्षण संस्थाओं के आकार के विषय में भी अपने सुझाव दिए हैं। प्राइमरी स्तर पर विद्यार्थियों की संख्या कम से कम 240 होनी चाहिए और दो वर्ष का कोर्स हो। सैकेण्डरी स्तर पर यह संख्या 20 तक हो । प्राइमरी स्तर के प्रशिक्षण संस्थान ग्रामीण प्रदेशों (इलाकों) में खोले जाने चाहिएं और अध्यापनअभ्यलिए के लिए पड़ोस के स्कूलों में व्यवस्था की जानी चाहिए।
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