अर्थशास्त्र / Economics

उदासीनता वक्र | उदासीनता वक्र विश्लेषण का आधार | उदासीनता वक्रों की परिभाषा एवं अर्थ | उदासीनता वक्र का निर्माण | उदासीनता वक्रों की विशेषताएं

उदासीनता वक्र | उदासीनता वक्र विश्लेषण का आधार | उदासीनता वक्रों की परिभाषा एवं अर्थ | उदासीनता वक्र का निर्माण | उदासीनता वक्रों की विशेषताएं

उदासीनता वक्र

निम्नांकित को स्पष्ट कीजिये-

(अ) अनधिमान वक्र मूलबिन्दु की ओर नतोदर होते है।

(ब) उच्चतर अनधिमान वक्र पर सन्तुष्टि का स्तर उच्चतर होगा।

मार्शल व उसके अनुयायियों ने उपभोक्ता व्यवहार का विश्लेषण उपयोगिता (Utility) के आधार पर किया। यह विश्लेषण अनेक अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित था जैसे (1) उपयोगिता की गणनावाचक माप संभव है, (2) मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता स्थिर रहती है तथा (3) वस्तुएँ एक-दूसरे से स्वतन्त्र होती हैं। आधुनिक अर्थशास्त्री उपर्युक्त मान्यताओं को स्वीकार नहीं करते।

उपभोक्ता व्यवहार की उपयोगिता विश्लेषण की कमियों को दूर करने के लिए तथा उपयोगिता की व्यावहारिकता हेतु एक नई पद्धति का विकास किया गया है जिसे हम उदासीनता वक्र विश्लेषण, तटस्थता वक्र विश्लेषण अथवा क्रमवाचक विश्लेषण कहते हैं। उपभोक्ता व्यवहार के विश्लेषण में उदासीनता वक्रों का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1881 में एजवर्थ द्वारा किया गया था। सन् 1906 में पैरेटो ने इस विधि का विस्तार से प्रयोग किया। बाद में सन् 1913 में जोनसन ने, 1915 में स्लटस्की ने तथा 1934 में जे० आर० हिक्स व जी० डी० एलन ने गणनावाचक विश्लेषण की तीव्र आलोचना करते हुए उदासीनता वक्र विश्लेषण की महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत की।

उदासीनता वक्र विश्लेषण का आधार

(Basis of Indifference Curve Analysis)

उदासीनता वक्र विधि का महत्त्वपूर्ण आधार यह धारणा है कि हम उपयोगिता की संख्यात्मक रूप में माप नहीं कर सकते क्योंकि यह एक मानसिक अनुभूति है। हम उपयोगिता की केवल तुलना कर सकते हैं अर्थात् हम यह बता सकते हैं कि एक वस्तु से किसी दूसरी वस्तु की तुलना में उपयोगिता कम मिलती है, समान मिलती है या अधिक मिलती है। दूसरे शब्दों में, इस विधि के अन्तर्गत प्राथमिकता क्रम को अपनाया जाता है जो दो वस्तुओं के बीच उपभोक्ता की पसन्दगी का प्रतीक है। प्रत्येक कम उपभोक्ता को एक निश्चित सन्तुष्टि के स्तर को बताता है और इन सभी क्रमों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय आदि क्रमवाचक संख्याओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

उदासीनता वक्रों की परिभाषा एवं अर्थ

(Meaning and Definitions of Indifference Curve)

साधारण शब्दों में उदासीनता वक्र उदासीनता अनुसूची का रेखाचित्रीय स्वरूप है। यह दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाता है जिनके बीच उपभोक्ता तटस्थ रहता है अर्थात् उसे सभी संयोगों से समान मात्रा में उपयोगिता प्राप्त होती है। इसकी प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) जे० के० ईस्थम के अनुसार, “यह वस्तुओं की मात्राओं के उन संयोगों का बिन्दु पथ है जिनके बीच उपभोक्ता उदासीन रहता है और इसलिए इसे तटस्थता वक्र (उदासीनता वक्र) कहते हैं।”

(2) के० ई० बोल्डिंग के अनुसार, “समान अनुराग दिखाने वाली वक्र रेखाएँ तटस्थता वक्र कहलाती हैं, क्योंकि वे वस्तुओं के ऐसे संयोगों को व्यक्त करती हैं जो एक-दूसरे से न तो अच्छे होते हैं और न बुरे ही।”

(3) हैन्डरसन व क्वांट के अनुसार, “वस्तुओं के ऐसे सभी संयोगों के जिनसे उपभोक्ता को समान स्तर का सन्तोष मिलता है, बिन्दु पथ को तटस्थता वक्र कहते हैं।”

(4) स्टिगलर के शब्दों में, “यदि वस्तुओं को बाँटा जा सकता है तो X और Y में बहुत- से संयोग बनाए जा सकते हैं जो समान सन्तोष प्रदान करते हैं। यदि ऐसे समान संयोगों को रेखाचित्र में दिखाकर एक-दूसरे में मिला दिया जाता है तो जो वक्र रेखा IC बनती है, उसे तटस्थता वक्र कहते हैं क्योंकि उपभोक्ता ऐसे समय तटस्थ हो जाता है कि IC वक्र रेखा पर X तथा Y वस्तुओं के ऐसे जोड़ों में कौन सा संयोग चुने ।”

उदासीनता वक्र का निर्माण

(Construction of Indifference Curve)

उदासीनता वक्र का निर्माण करने के लिए उदासीनता तालिका की आवश्यकता होती है। उदासीनता तालिका वह तालिका है जिसमें दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दिखाया जाता है जो उपभोक्ता को समान रूप से स्वीकार्य होते हैं।

(1) डी० एस० वाटसन के शब्दों में, “उदासीनता सारणी दो वस्तुओं के संयोगों की एक सूची है जिसको इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि उपभोक्ता इन जोड़ों के सम्बन्ध में तटस्थ है अर्थात् किसी जोड़े को दूसरे की अपेक्षा अधिक महत्त्व नहीं देता।”

(2) एच० एल० मेयर्स के शब्दों में, “तटस्थता सारणी वह तालिका है जो वस्तुओं के ऐसे विभिन्न संयोगों को बताती है जिनसे किसी व्यक्ति को समान सन्तोष प्राप्त होता है।”

जब उदासीनता तालिका के विभिन्न संयोगों को ग्राफ पेपर पर प्रांकित किया जाता है तो विभिन्न संयोग बिन्दुओं को मिलाने से जो रेखा तैयार होती है, उसे उदासीनता वक्र कहते हैं।

तटस्थता वक्रों की मान्यताएं-

  • उपभोक्ता केवल 2 वस्तुओं के उपभोग में ही रुचि रखता है।
  • उपभोक्ता विवेकशील होता है।
  • वस्तुएं एकरुप एवं विभाज्य होती हैं।
  • उपभोक्ता प्राथमिकताओं के आधार पर यह बता सकता है कि वस्तुओं के किस संयोग से उसे अन्य वस्तुओं की अपेक्षा कम या अधिक संतुष्टि मिलती है
  • एक उपभोक्ता किसी वस्तु की अधिक मात्रा उस वस्तु की कम मात्रा की अपेक्षा अधिक पसंद करता है।
  • उपभोक्ता को बाजार के संबंध में पूर्ण जानकारी है।
  • सीमांत प्रतिस्थापन दर घटती जाती है।

उदासीनता (तटस्थता) वक्रों की विशेषताएं

(Characteristics of indifference Cures)

उदासीनता अथवा तटस्थता वक्रों की मुख्य विशेषताएं निम्नांकित हैं- (1) तटस्थता वक्र बाएं से दाएं नीचे की ओर गिरते हैंइसका कारण यह है कि जैसे-जैसे उपभोक्ता तटस्थता वक्र पर बाएं से दाएं को बढ़ता है वैसे वैसे उसके पास एक वस्तु की मात्रा घटती है तथा दूसरी की बढ़ती है।

(2) तटस्थता वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर (Convex) होते हैं- तटस्थता वक्रों कब आया भाग सापेक्षिक रूप से डालो तथा बाएं भाग सापेक्षिक रूप से समतल होता है। इसका कारण घटती हुई सीमांत प्रतिस्थापन दर का लागू होना है।

(i) यदि 2 वस्तुएं ऐसी है जो एक दूसरे के प्रति पुर्ण स्थानापन्न हैं तू उदासीनता रेखा Y अक्ष तथा X अक्ष के साथ 45° का कोण बनाती हुई एक सरल रेखा होगी।

(ii) यदि दो वस्तुएं ऐसी हैं जो एक दूसरे की पूर्ण पूरक हैं तो तटस्थता रेखा L की होगी।

(3) तटस्थता वक्र रेखा एक दूसरे को नहीं काटतीदो तटस्थता वक्र एक- दूसरे को कभी नहीं काट सकते क्योंकि जिस उभय बिंदु पर वे एक- दूसरे को काटेंगे, कम से कम वह बिंदु संतुष्टि का बिंदु होगा, परंतु यह संभव नहीं है क्योंकि दो उदासीनता वक्र दो भिन्न-भिन्न संतुष्टियों के स्तर को प्रदर्शित करते हैं।

(4) तटस्थता वक्रों का परस्पर समानांतर होना अनिवार्य नहींदो या दो से अधिक तटस्थता वक्र केवल उसी दशा में समानांतर हो सकते हैं, जबकि 2 वस्तुओं के मध्य प्रतिस्थापन की दर समान हो, परंतु ऐसा होना आवश्यक नहीं।

(5) तटस्थता वक्रों की मूल बिंदु से दूरी संतुष्टि की मात्रा को निर्धारित करती है–  दूसरे शब्दों में, एक तटस्थता वक्र की दाई और अधिक ऊंचा दूसरा तटस्थता वक्र संतुष्टि के अपेक्षाकृत अधिक ऊंचे स्तर और 2 वस्तुओं के श्रेष्ठ संयोगों को व्यक्त करता है।

(6) कोई भी तटस्थता वक्र किसी अक्ष को स्पर्श नहीं करता- क्योंकि किसी भी अक्ष को स्पर्श करने का अभिप्राय यह होगा कि व्यक्ति एक ही वस्तु की कुछ इकाईयों से उतनी ही संतुष्टि प्राप्त कर रहा है जितनी उसे 2 वस्तुओं के विभिन्न संयोगों से प्राप्त होती है।

(7) विभिन्न तटस्थता वक्रों की तुलनाइससे हम यह तो जान सकते हैं कि विभिन्न संयोगों मैं किस संयोग से अधिक और किससे कम उपयोगिता प्राप्त हो रही है परंतु विभिन्न संयोगों से प्राप्त उपयोगिता में कितना अंतर है, यह ज्ञात नहीं हो सकता।

(8) तटस्थता वक्र का रूप गोलाकार भी हो सकता हैजब हम किन्ही दो वस्तुओं की विभिन्न इकाइयों का निरंतर उपभोग करते हैं चले जाते हैं तो हमारी आवश्यकता की तीव्रता कम होती है और अंततः पूर्ण संतुष्टि का बिंदु प्राप्त हो जाता है। यदि इस बिंदु के बाद भी हम उपभोग जारी रखें तो हमें ऋणात्मक उपयोगिता या अनुपयोगिता प्राप्त होगी। ऐसी दशा में वक्र गोलाकार या अंडाकार हो सकता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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