कुश्ती के नियम (Wrestling)- इतिहास, नियम तथा महत्वपूर्ण तथ्य
कुश्ती के नियम (Wrestling)- इतिहास, नियम तथा महत्वपूर्ण तथ्य
कुश्ती का खेल बहुत ही पुराना है कुश्ती का विकास अब से 5,000 वर्ष पूर्व मिश्र में हुआ था। इसके बाद युनान में भी कुश्ती बहुत लोकप्रिय रही। 704 ईसा पूर्व के ओलम्पिक खेलों में कुश्ती को सम्मिलित किया गया। इससे शरीर के विकास में सहायता मिलती है। इसको मल्लयुद्ध भी कहा जाता है। इस खेल में शरीर के सभी अंगों का व्यायाम होता है। यह एक प्रकार का स्पर्ध्धापूर्वक युद्ध होता है। अतः बड़ी-बड़ी हानियाँ उठानी पड़ती हैं। इस युद्ध को प्रेमपूर्वक यदि मनुष्य करता रहे तो यह आयु में वृद्धि करता है। यह आजीविका कमाने का भी साधन है। ‘रुस्तम और सोहराब की कहानी विश्व में प्रसिद्ध है आधुनिक युग में कुश्ती की तकनीक में विशेष परिवर्तन किया गया है। लेकिन भारत की देशी कुश्ती मिट्टी के अखाड़े में होती है। उदय चन्द, भीम सिंह, चंदगीराम, सुदेश कुमार, करतार सिंह, सतपाल, राजेश, पय्पू यादव आदि भारत के प्रसिद्ध पहलवान हैं। एशियाई खेलों में कुश्ती को सन् 1908 में सम्मिलित किया गया। के० डी० यादव ने सन् 1952 के हेलसिकी ओलम्पिक खेलों में कांस्य पदक प्राप्त किया।
कुश्ती के नियम
(1) कुश्ती से 2 घण्टे पूर्व प्रतियोगियों की डॉक्टरी जाँच होती है। पूर्ण स्वस्थ प्रतियोगी ही कुश्ती में भाग ले सकता है।
(2) कुश्ती का गद्दा 10 सेमी मोटा होता है। जिसका व्यास 9 मीटर होता है।
(3) सभी प्रतियोगी बनियान, जॉँघिया या फ्लीट पहनते हें। किसी भी प्रकार का आभूषण नहीं पहनते हैं।
(4) प्रथम दौर 6 मिनट का होता है। दो मिनट के विश्राम के पश्चात् यदि आधार बराबरी का रहता है तो दो-दो मिनट के तीन दौर चलते हैं। मध्य में एक-एक मिनट का विश्राम भी रहता है।
(5) बाल पकड़ना, चोट लगना, गर्दन दबाना, थप्पड़ मारना आदि कार्य खेल के नियम के विरुद्ध हैं।
(6) जिस प्रतियोगी के दोनों कन्धे जमीन में लग जायें वह चित्त माना जाता है।
(7) संचालक रेफरी होता है उसका निर्णय अन्तिम होता है।
अर्जुन पुरस्कार विजेता
- 1969 चन्दगीराम
- 1971 सुदेश कुमार
- 1974 सतपाल सिंह
- 1982 करतार सिंह
- 1992 पप्पू यादव
- 1993 अशोक कुमार
- 1998 संजय
- 2001 के० डी० यादव
- रमेश कुमार
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- तृतीय अध्याय – प्रयागराज के सांस्कृतिक विकास का कुम्भ मेल से संबंध
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