पूर्व राष्ट्रपति डॉ. के. आर. नारायणन- भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. के. आर. नारायणन- भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति
भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के पद पर रहे डॉ. कोचेरिल रमन नारायणन का जन्म 27 अक्टूबर 1920 को केरल के कोटाट्यम जिले के उझावर नामक गांव में हुआ। इनके पिता का नाम श्री रामन वैद्य था सम्मानित होने के बावजूद वह अभावग्रस्त जीवन बिता रहे थे। डॉ. के. आर. नारायणन ने प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल में प्राप्त की योग्यता के कारण आप शिक्षकों के स्नेह पात्र बने रहे। मैट्रिक की परीक्षा में प्रथम आने पर उन्हें छात्रवृत्ति मिली। इसके बाद उन्होंने 1943 में केरल विश्वविद्यालय त्रिवेन्द्रम से अंग्रेजी भाषा में स्नातकोत्तर किया इस समय तक आपने कविता के साथ-साथ गद्य साहित्य का सृजन करना भी शुरू कर दिया था।
इसके बाद आप आजीविका की खोज में लग गए । त्रावणकोर के दीवान ने आपको लिपिक का पद देना चाहा लेकिन आपने उसे स्वीकार नहीं किया। नौकरी की तलाश में आप राजधानी दिल्ली आ गए। 1944-45 में आपने पत्रकारिता क्षेत्र में प्रवेश किया। अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ के आप उपसम्पादक भी रहे। इसके बाद मुम्बई से प्रकाशित द टाइम्स ऑफ इंडिया के संवाददाता रहे। टाटा की छात्रवृत्ति पर आप ब्रिटेन चले गये जहाँ आपने लंदन स्कूल ऑफ इक्नॉमिक्स की डिग्री प्राप्त की। इसके दो वर्ष बाद ही आपने प्रथम श्रेणी में ऑनर्स भी कर लिया। 1949 में आप भारतीय विदेश सेवा में शामिल हो गये और रंगून, टोकियो, लंदन, आस्ट्रेलिया, हनोई स्थित भारतीय उच्चायोगों में उच्च पदों पर रहे। पं. जवाहर लाल नेहरू के प्रयासों से आप 8 जून 1951 को एक बर्मी युवती के साथ विवाह सूत्र में बंध गये।
श्री नारायणन थाइलैंड व तुर्की में भारत के राजदूत रहे। 1970 की जुलाई माह में आपको चीन में राजदूत बनाकर भेजा गया। 1978 में विदेश सेवा से अवकाश ग्रहण करने के बाद आपको जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया । आपने अपनी योग्यता के बल पर विश्वविद्यालय के भीतर जो राजनीतिक वातावरण सुलग रहा था, उसे शान्त कर वास्तविक शिक्षा का माहौल बनाया। श्रीमती इन्दिरा गांधी जब पुनः सत्ता में आईं तो आपको फिर उन्होंने एक बार अमेरिका का राजदूत बनाकर भेज दिया सन् 1984 में आप कांग्रेस उम्मीदवार बनकर केरल राज्य से चुनाव जीतकर लोकसभा में आ गए। फिर योजना मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों में राज्यमंत्री के रूप में योग्यतापूर्वक कार्य करते रहे।
सन् 1991 में आपने पुनः लोकसभा के लिए अपने पूर्ववर्ती निर्वाचन क्षेत्र से ही चुनाव जीता, पर किसी कारणवश नरसिम्हा राव मंत्रिमण्डल में आप शामिल नहीं हो सके।1992 में शासक दल की और से आपको उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया | सर्वसम्मति से आप उपराष्ट्रपति चुन लिए गये। 21 अगस्त 1992 को आपको उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलायी गयी। इसके बाद आपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार टी. एन. शेषन को हराकर राष्ट्रपति पद प्राप्त किया। उनका राष्ट्रपति के रूप में चुना जाना भारतीय इतिहास में एक अत्यंत गौरवमय पृष्ठ जोड़ा जाना है। उनका राष्ट्रपति पद पर सर्वसम्मति से चुना जाना देश की बदलती हुई मानसिकता, प्रतिभा और योग्यता का परिचायक है। उल्लेखनीय है कि स्वाधीनता की स्वर्ण जयंती के अवसर पर श्री नारायणन जैसे प्रतिभाशाली व योग्य व्यक्ति के राष्ट्रपति पद पर आसीन होने पर जैसा उनको समर्थन दिया गया और उनके प्रति विश्वास जताया गया वह पूज्यनीय है।
आपने 25 जुलाई 1997 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण करने के बाद आपने अपने भाषण में कहा था कि देश के वरिष्ठ लोगों और नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे देश के युवाओं के लिए आदर स्थापित कर गिरते मूल्यों की रक्षा करें ताकि हमारा सामाजिक जीवन उच्च बना रहे। हमारे समाज में साम्प्रदायिकता, जातिवाद, हिंसा और भ्रष्टाचार जैसी बुराइयां दिखने लगी हैं । जिनसे सार्वजनिक जीवन, नैतिकता व आध्यात्मिकता के कमजोर होने के लक्षण दिखायी दे रहे हैं। राष्ट्रपति पद जैसे उच्चतम पद पर बैठने वाले डॉ. के. आर. नारायणन न पद की गरिमा के अनुकूल जो आचरण किया व जिस निष्पक्षता से निर्णय लिए उस पर हर भारतीय को गर्व है।
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