कबड्डी खेल के नियम

कबड्डी खेल के नियम (Kabaddi)– मैदान, पोशाक, बोनस रेखा, समयावधि, वर्जित बातें

कबड्डी खेल के नियम (Kabaddi)– मैदान, पोशाक, बोनस रेखा, समयावधि, वर्जित बातें

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कबड्डी हमारे देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय खेल है। साथ ही साथ यह बहुत प्राचीन समय से हमारे देश में खेला जा रहा है। विशेषतः हमारे गाँवों, कस्बों आदि में यह खेल बहुत खेला जाता है और पसन्द भी किया जाता है। एक छोटे से स्थान पर जहाँ भी चार मित्र एकत्रित हो जाते हैं, कबड्डी खेलने का मूड बन जाता है तथा सारे दिन की थकान उतर जाती है अर्थात् मनोरंजन का मनोरंजन और व्यायाम का व्यायाम। कोई उम्र का बंधन नहीं, कोई महँगे साजो-समान की आवश्यकता नहीं। किसी प्रकार की महँगी पोशाक की भी आवश्यकता नहीं। खेलने वालों को और क्या चाहिए लड़के, लड़कियाँ, बच्चे, माताएँ, बूढ़े, जवान सभी उम्र के लोग बड़े चाव से कबड्डी देखना पसन्द करते हैं।

खेल

कबड्डी का खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है और मैदान में नियमानुसार रेखाएँ खींचकर खेला जाता है। दिशा का चुनाव होने के पश्चात् दोनों टीमें अपना-अपना स्थान लेती हैं तथा एक टीम का एक खिलाड़ी बिना श्वांस तोड़े कबड्डी-कबड्डी कहता हुआ विरोधी टीम के क्षेत्र में प्रवेश करता है। विरोधी टीम के खिलाड़ी उससे बचने का प्रयास करते हैं कि वह उनमें से किसी को भी छू न ले । यदि कोई खिलाड़ी उसके द्वारा छू लिया जाता है तो वह आउट माना जाता है और कबड्डी देने वाला खिलाड़ी सकुशल वापिस अपने पाले में आ जाए तो उसकी टीम को एक अंक मिलता है। इस प्रकार यदि कबड्डी देने वाला खिलाड़ी विरोधी टीम के क्षेत्र में यदि उसके खिलाड़ियों द्वारा पकड़ लिया जाता है और उसकी श्वांस टूट जाती है तो वह खिलाड़ी आउट माना जाता है और खेल से बाहर हो जाता है । इसी प्रकार बारी-बारी प्रत्येक टीम के खिलाड़ी विरोधी टीम के क्षेत्र में कबड्डी देने जाते हैं। एक बार में केवल एक ही खिलाड़ी कबड्डी देने जा सकता है। खेल के अन्त में जो टीम सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करती है, वह विजयी कहलाती है। इस खेल में सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि खिलाड़ियों को लम्बी श्वांस लेकर कबड्डी देनी होती है।

खेल का मैदान

 कबड्डी खेलने के लिए बहुत बड़े मैदान की आवश्यकता नहीं होती है। आमतौर पर पुरुषों की कबड्डी के लिए 122 मीटर लम्बा और 10 मीटर चौड़ा मैदान उपयुक्त रहता है। महिलाओं एवं जूनियर्स के लिए 11 मीटर लम्बा और 8 मीटर चौड़ा मैदान पर्याप्त रहता है। मैदान साफ एवं समतल होता है तथा इस पर मिट्टी, खाद अथवा फिर बुरादा डाल कर इसे इस प्रकार बनाया जाता है कि किसी खिलाडी के गिरने पर उसे चोट न लगे। मैदान को मध्य से एक केन्द्रीय रेखा दो भागों में विभाजित करती है तथा इसके दोनों तरफ एक-एक मीटर की चौड़ी पट्टी होती है जिसे ‘लॉबी’ कहा जाता है। प्रत्येक क्षेत्र में केन्द्रीय रेखा से तीन मीटर की दूरी पर एक-एक ‘बॉक रेखा’ खींची जाती है। इससे एक-एक मीटर की दूरी पर ‘बोनस रेखा’ खींची जाती है। साइड रेखा एवं अन्त रेखा के बाहर की तरफ 4 मीटर का स्थान खुला छोड़ा जाता है और अन्त रेखा से दो मीटर की दूरी पर बैठने का स्थान बनाया जाता है।

पोशाक

 कबड्डी खेलते समय पोशाक प्रायः ऐसी पहनी जाती है जो शरीर पर आरामदेय हो तया भागते एवं दौड़ते समय किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। आमतौर पर आधी बाजू की टी-शर्ट, निक्कर पहनी जाती है। महिलाएँ आधी बाजू की ही-शर्ट तथा स्कर्ट अथवा निक्कर ही पहन कर खेलती हैं। खेलते समय ऐसी वस्तुएं शरीर पर नहीं पहननी चाहिए जिससे किसी को भी चोट लगने का भय हो जैसे अंगूठी, सेफ्टी पिन, गले की जंजीर आदि।।

बोनस रेखा

 बोनस रेखा का कबड्डी के खेल में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है । यह बॉँक रेखा से एक कमीटर की दूरी पर होती है। महिलाओं एवं बच्चों के खेल में यह रेखा, बाक रेखा से पौन मीटर दूर होती है। जब एक खिलाड़ी विरोधी टीम के क्षेत्र में कबड्डी देने जाता है । इस रेखा को पूरी तरह क्रास करके वापिस ना जाता है तो उसे एक अंक दिया जाता है यदि बोनस रेखा क्रास करने के बाद वह खिलाड़ी पकड़ा जाता विरोधी टीम को भी एक अंक मिलता है। यदि खिलाड़ी बोनस रेखा भी क्रास कर लेता है और एक खिलाड़ी को भी छू लेता है तो तसे बोनस के अलावा एक अंक और भी मिलता है। अंकों का रिकार्ड रखने वाला स्कोरर बोनस अंकों को स्कोर चार्ट पर त्रिभुज (∆) बना कर उसके ऊसर अंक नोट करता है।

खिलाड़ियों की संख्या एवं समयावधि

 एक टीम में खिलाड़ियों की संख्या प्रायः 12 होती है जिनमें से सात खिलाड़ी एक मैच खेल सकते हैं तथा 5 खिलाड़ी सबस्टीट्यूट होते हैं। ये खिलाड़ी किसी घायल अथवा चोट लगने पर खेल रहे खिलाड़ी के स्थान पर खेलने आ सकते हैं।

पुरुषों के लिए मैच की दो पारियाँ खेली जाती हैं जो 20-20 मिनट की होती हैं। महिलाओं एवं जूनियर्स के लिए 15-15 मिनट की दो पारियाँ खेली जाती हैं। प्रत्येक पारी के पश्चात पाँच मिनट का मध्यान्तर रहता है।

निर्णायक

 कबड्डी के खेल में प्रायः एक रैफरी, दो अम्पायर, दो रेखा निरीक्षक और एक स्कोरर होता है। सभी मामलों में रैफरी का निर्णय ही अन्तिम निर्णय होता है। खेल में किसी भी प्रकार के नियमों का उल्लंघन होने पर रैफरी खिलाड़ियों को चेतावनी दे सकता है अथवा फिर खिलाड़ी को आगे खेलने के लिए मना कर सकता है।

वर्जित बातें

 कबड्डी में निम्नलिखित बातें वर्जित होती हैं-

(1) आक्रमण खिलाड़ी को धक्का देना।

(2) उसका मुँह बन्द करके श्वांस तोड़ने की कोशिश करना।

(3) किसी भी प्रकार का हिंसात्मक प्रयोग ।

(4) किसी खिलाड़ी को बालों से पकड़ना अथवा कपड़े फाड़ना।

(5) किसी खिलाड़ी को कैंची मारना अथवा उसका गला दबाना।

(6) किसी टीम का कबड्डी के लिए 5 सेकिंड के अन्दर खिलाड़ी न भेजना ।

कबड्डी के नियम

 कबड्डी के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-

(1) किसी खिलाड़ी के आउट होने पर विरोधी टीम को एक अंक मिलता है।

(2) जब एक टीम के सारे खिलाड़ी आउट हो जाते हैं तो वरोधी टीम को एक लोना दिया जाता है। यह चार अंकों का होता है।

(3) किसी खिलाड़ी को चोट लगने की स्थिति में उस टीम का कप्तान ‘टाइम आऊट’ मॉँग कर, सबस्टीट्यूट खिलाड़ी की माँग कर सकता है।

(4) पहली पारी में केवल दो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं।

(5) आक्रामक खिलाड़ी को लगातार कबड्डी-कबड्डी” का उच्चारण करते रहना आवश्यक है। ऐसा न करने पर बह अम्पायर द्वारा वापिस भेज दिया जाता है।

 (6) खिलाड़ियों के नाखून पूरी तरह से कटे होने चाहिए। किसी प्रकार की अँगूठी, कड़ा, जंजीर पहन कर खेलना मना होता है। हाथों-पैरों पर चिकना तेल नहीं मला होना चाहिए।

(7) खेल के दौरान मैच से बाहर जाने वाला खिलाड़ी आउट माना जाता है।

(8) सीमा रेखा से बाहर भी यदि किसी खिलाड़ी का कोई अंग चला जाता है तो वह आऊट माना जाता है।

(9) जब कोई खिलाड़ी विरोधी टीम के पाले में जा कर श्वांस तोडता है तो वह आऊट माना जाता है।

(10) कोई भी खिलाड़ी बिना अपनी बारी के कबड्डी देने नहीं जा सकता।

(11) विपक्षी के आठट होने पर आठट होने वाले खिलाड़ियों को उसी क्रम से जीवित किया जाता है। जिस क्रम से वे आउट हुए थे।

प्रतियोगिताएँ

गोल्ड कप मुंबई

राष्ट्रीय कबड्डी चैम्पियन शिप

स्कूल गेम्स फैडरेशन कबड्डी टूर्नामेण्ट

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