नई औद्योगिक नीति | नई औद्योगिक नीति 1991 की प्रमुख विशेषता | नई औद्योगिक नीति की सफलता का मूल्यांकन

नई औद्योगिक नीति | नई औद्योगिक नीति 1991 की प्रमुख विशेषता | नई औद्योगिक नीति की सफलता का मूल्यांकन
औद्योगिक नीति (Industrial Policy) का अर्थ –
“औद्योगिक नीति का अर्थ एक ऐसी औपचारिक घोषणा से है जिसमें सरकार उद्योगों की स्थापना व विकास के प्रति सामान्य नीति अपनाते हुए राजकीय सिद्धान्त, नियम व नीतियों को सम्मिलित करती है।”
नई औद्योगिक नीति, 1991 (अथवा) औद्योगिक लाइसेन्सिंग नीति (New Industrial Policy 1991)
भूमिका (Introduction) – भारतीय औद्योगिक पटल पर नियमन एवं नीति निर्धारण हेतु तत्कालीन काँग्रेस सरकार ने 24 जुलाई 1991 को “नवीन औद्योगिक नीति घोषित की।” नई औद्योगिक नीति की विशेषता-
- लाइसेन्स प्रणाली समाप्त (End of Licensing System) – औद्योगिक नीति 1991 में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए लाइसेन्स प्रणाली समाप्त कर दी गई। सरकार ने घोषणा करते हुए कहा कि आज से सभी उद्योग केवल निम्न 15 उद्योगों को छोड़कर लाइसेन्स से मुक्त रहेंगे। अब लाइसेन्स मुंक्त उद्योग कितनी ही पूंजी निवेश के लिए स्वतंत्र हैं। यद्यपि सरकार ने 15 उद्योगों को लाइसेन्स लेना अनिवार्य घोषित किया, किन्तु 24 अप्रैल, 1993 रेफ्रीजरेटर, मोटरकार एवं चमड़ा व खाल उद्योग का लाइसेन्स में मुक्त कर दिया। निम्न उद्योगों को लाइसेन्स लेना अनिवार्य किया गया-
(1) कोयला, (2) चीनी, (3) ओषधि, (4) प्लाईवुड, (5) कागज, (6) सिगरेट, (7) रासायनिक उत्पाद (नुकसानदायक), (8) इलक्ट्रानिक्स, (9) एरस्पेश, (10) मनोरंजक इलेक्ट्रानिक्स, (11) चर्बी एवं तेल (जनवरों से), (12) पेट्रोलियम, (13) एस्वेस्टास, (14) औद्योगिक विस्फोटक, (15) टेण्ड परस्किन।
- सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) – सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के लिए औद्योगिक और वित्त पुनर्निर्माण बोर्ड गठित किया। ऐसे सार्वजनिक उपक्रम जो घाटे में चल रहे हैं या समस्याग्रस्त हैं उन्हें बोर्ड को सौंप दिया जायेगा। लेकिन सामरिक महत्व के सार्वजनिक उपक्रम जो देश के दीर्घकालीन विकास हेतु आवश्यक है, एस उपक्रम मुख्य रूप से आधारभूत वस्तुएँ एवं सेवा उद्योग, खनिज व तेल उद्योग को भविष्य में उच्च प्राथमिकता दी जायेगी।
- विदेशी निवेश (Foreign Investment) – सरकार ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करते हुए घोषणा कर दी कि अभी तक विदेशी पूँजी का अनुपात फेरा A कम्पनियों में 40 प्रतिशत था जिसे बढ़ाकर 51 प्रतिशत कर दिया गया है। इतना ही नहीं, अब विदेशी पूँजी निवेश की स्वीकृति तत्काल प्रदान की जायेगी इसके अलावा विदेशी निवेश युक्त कम्पनियों का लाभ निर्यात से ही विशेष समयावधि में पूर्ण करने की योजना दी गई।
- सार्वजनिक क्षेत्र के सुरक्षित उद्योग (Reserved Industries for Public Sector)- केन्द्र सरकार ने (1) अस्त्-श्त्र, (2) खनिज तेल, (3) परमाणु शक्ति, (4) कोयला, (5) सोना, हीरा तथा कच्चा लोहा, मैंगनीज, (6) रेलवे यातायात, (7) जस्ता, तांबा का उत्पादन, (8) परमाणु शक्ति में प्रयुक्त होने वाले, खनिज आदि आठ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को सुरक्षित (Reserved) घोषित किया, इन उद्योगों को निजी क्षेत्र में नहीं दिया जा सकेगा।
- विदेशी प्रौद्योगिकी ((Foreign Technology)- सरकार ने विदेशी प्रौद्योगिकी के सहयोग को प्रोत्साहन दिया ताकि उत्पादन एवं निर्यात में वृद्धि हो सके। लेकिन विदेशी पूँजी निवेश का प्रस्ताव पास होने के साथ विदेशी प्रौद्योगिकी को प्राप्त करने की अनिवार्यता नहीं होगी।
- श्रमिक की प्रबन्ध भागीदारी (Labour Partnership in Management)- भारत सरकार ने उद्योगों में श्रमिकों की भागीदारी केवल उत्पादन तक सीमित न करके उन्हें प्रबन्ध में सक्रिय भागीदारी का निर्णायक फैसला लिया। इसके अन्तर्गत ज्वायण्ट कन्सलटन्ट मशीनरी (J.C.M.) कमेटी बनाने के सुझाव दिये गये। अतः औद्योगिक नीति ने प्रबन्ध में श्रमिकों की भागीदारी को सुनिश्चित कर दिया।
- एम.आर.टी.पी. अधिनियम में संशोधन (Amendment of M.R.T.P.) – औद्योगिक नीति 1991 ने एकाधिकार एवं प्रतिबन्धात्मक व्यापारिक व्यवहार (MRTP) अधिनियम में संशोधन करके एक दृढ़ता का परिचय दिया, इसके अन्तर्गत नये उपक्रम की स्थापना एक उपक्रम का दूसरे उपक्रम में विलय एक इकाई द्वारा दूसरी इकाई को क्रय करने या दो उपक्रमों का आपसीबीविलय आदि के लिए केन्द्र सरकार की अथवा पूर्व अनुमति से मुक्ति दे दी गई। इतना ही नहीं, एम.आर.टी.पी. आयोग का पूर्ण अधिकार देते हुए उपभोक्ताओं की शिकायतों की जाँच, एकाधिकारी शक्तियों के व्यापारिक क्षेत्र जो संशयपूर्ण हों, उनकी जाँच हेतु स्वतंत्रता दी गई।
औद्योगिक नीति, 1991 की सफलता
वास्तव में यह औद्योगिक नीति अनेक दृष्टियों से सफल नीति रही है, इसको निम्न प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं-
(1) औद्योगिक विकास की दर में तीव्रता- नवीन औद्योगिक नीति लागू होने के बाद औद्योगिक विकास की दर में काफी तीव्रता आ गयी है। इस कारण औद्योगिक उत्पादन में काफी वृद्धि हो गयी है और देश अनेक वस्तुओं का निर्यात करने लगा है।
(2) लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास- नवीन औद्योगिक नीति लागू होने के बाद लघु कुटीर उद्योगों ने काफी विकास किया है। लघु इकाइयों की संख्या में वृद्धि हुई है, रोजगार के अवसर बढ़े हैं, उत्पादन बढ़ा है तथा निय्यात में भी काफी वृद्धि हुई है।
(3) विदेशी उपक्रमों की स्थापना में वृद्धि – देश में इस नीति के फलस्वरूप विदेशी उपक्रमों की सांख्या में काफी वृद्धि हुई जिससे देश की ख्याति बढ़ी है।
(4) सार्वजनिक क्षेत्र विस्तार- गत दस वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का भी काफी विस्तार हुआ है। साथ ही इन उपक्रमों की लाभदायकता में वृद्धि हुई है।
(5) पिछड़े क्षेत्रों का औद्योगिक विकास- पिछड़े राज्यों में अनेक छोटे एवं बड़े उद्योगों की स्थापना हुई है जिससे इन राज्यों के औद्योगिक विकास में तीव्रता आयी है।
औद्योगिक नीति, 1991 का मूल्यांकन
सरकार ने औद्योगिक नीति को ‘खुली औद्योगिक नीति’ कहकर पुकारा है, जिसमें अनेक क्रान्तिकारी नीतियों एवं पहलुओं को शामिल किया गया है। भूतपूर्व प्रधानमन्त्री श्री पी. वी. नरसिम्हाराव ने इसे उदार नीति बताया है। नवीन औद्योगिक नीति, 1991 अब तक अपनायी गयी नीतियों से भिन्न है फिछली औद्योगिक नीतियों का उद्देश्य औद्योगिक विकास को तीव्र करने से था, किन्तु सातवीं पंचवर्षीय योजना में यह महसूस किया गया कि अब आवश्यकता विदेशी प्रतिस्पर्धा के समक्ष टिकने एवं नियन्त्रणों को कम करने की है, जिससे उत्पादन तीव्र गति से सभी दिशाओं में बढ़ सके एवं निर्यातों में वृद्धि हो सके। इस. पृष्ठभूमि में इस नवीन नीति की घोषणा की गयी। इस नीति के कुछ प्रशंसात्मक पहलू अग्रलिखित हैं-
(1) इस नीति में लोक उपक्रमों की कार्यकुशलता एवं लाभदायकता बढ़ाने पर जार दिया गया है।
(2) इस नीति में औद्योगिक लाइसैंसिंग की अनिवार्यता का क्षेत्र काफी सीमित कर दिया है, जिससे औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन मिले।
(3) इस नीति के माध्यम से सरकार ने एकाधिकारी अधिनियम का अधिकांश भाग समाप्त करके औद्योगिक ढाँचे को अनावश्यक एवं कष्टपूर्ण सरकारी नियन्त्रणों से मुक्त किया है।
(4) इस नीति में विदेशी पँजी के पर्याप्त स्वागत की सामान्य नीति अपनायी गयी है।
(5) अप्रवासी भारतीयों को विशेष प्रेरणात्मक सुविधाएँ प्रदान की गयी है।
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