राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम – मिसाइल मैन (A. P. J. Abdul Kalam)

राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम – मिसाइल मैन (A. P. J. Abdul Kalam)
देश को परमाणु शक्ति से सुसज्जित करने वाले महान वैज्ञानिक भारत रत्न ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले के धनुषकोडि गांव के एक मछुआरे परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलब्दीन था। डॉ. कलाम का पूरा नाम अबुर पकीर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम है। इनकी आरम्भिक शिक्षा रामनाथपुरम के सक्वाट्र्ज हाई स्कूल से हुई। विज्ञान में स्नातक की उपाधि तिरुचि के सेंट जोसेफ कालेज से डॉ. कलाम ने प्राप्त की 1954-57 में मद्रास के मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नालॉजी (एम.आई.टी.) से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डॉ. कलाम ने डिप्लोमा प्राप्त किया। 1958 में डीटीडी एंड पी (एयर) में बतौर वरिष्ठ सहायक वैज्ञानिक नियुक्त हुए और इसी वर्ष रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ. में वरिष्ठ सहायक वैज्ञानिक नियुक्त हुए । यहाँ रहकर ही उनके नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने प्रोटोटाइप होवर क्राफ्ट का विकास किया।
डॉ. कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन 1962 में छोड़ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ गये डॉ कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में 1963 से 1982 तक में विभिन्न पदों पर कार्य किया। इसके बाद वे एरोडॉयनमिक्स से जुड़े फिर वे थुम्बा की सैटेलाइट प्रक्षेपण यान टीम के सदरस्य बने और जल्द ही वे एस.एल.वी. के निदेशक बन गये। डॉ. अब्दुल कलाम एस.एल.वी. के तीन डिजाइन, उनके विकास तथा उनके चार परीक्षणों के प्रति उत्तरदायी रहे। इस योजना के तहत 1980 में सफलतापूर्वक रोहिणी सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया गया।
उनके इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 1981 में डॉ. कलाम को पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया सन् 1982 में वे एक बार फिर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से जुड़े। इस बार वे यहाँ निदेशक पद पर आये । यहाँ आने के बाद उन्होंने इन्ट्रीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेन्ट प्रोग्राम को आगे बढ़ाया। यह प्रोग्राम तत्कालीन समय का देश का सबसे सफल सैन्य अनुसंधान था। इस योजना के अंतर्गत दस वर्षों में पांच महत्वाकांक्षी कार्यों को क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया था । इनमें नाग, आकाश, पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसे प्रक्षेपास्त्रों का विकास करना शामिल है।
डॉ. कलाम को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए समय-समय पर सम्मानित भी किया जाता रहा। इस क्रम में उन्हें भारतीय रक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने के लिए 25 नवम्बर 1997 को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसी तरह 1998 में उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इन्दिरा गांधी अवार्ड से सम्मानित किया गया भारत को रक्षा क्षेत्र में पहले से कहीं ज्यादा शक्तिशाली देश बनाने का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है। पोखरन में परमाणु परीक्षण की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया भारत अपने दम पर किसी भी क्षेत्र व किसी भी कार्य को करने में सभम है। उनकी विज्ञान क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के कारण उन्हें 25 नकम्बर 1999 को भारत सरकार का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। वर्ष 2001 तक वह इस पद पर रहे। 25 जुलाई 2002 को उन्हें भारत का बारहवां राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
डॉ. कलाम अविवाहित हैं। उन्हें शास्त्रीय संगीत से विशेष लगाव है। वे वैज्ञानिक ही नहीं एक अच्छे कवि भी हैं । डॉ कलाम द्वारा लिखित दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें इंडिया 2020′ तथा विंग्स ऑफ फायर एन ऑटोबॉयोग्राफी शामिल हैं। अब भी डॉ. कलाम देर रात तक काम कर सुबह सैर के लिए जल्दी उठ जाते है। डॉ. कलाम की जीवन शैली बड़ी सरल और साकारी है। उनका मानना है कि भारत अपनी महानता से इसलिए हाथ घो बैठा क्योंकि वह तकनीकी दृष्टि से पिछड़ गया है। विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति कर ही भारत फिर से महान बन सकता है।
विश्व के जाने माने वैज्ञानिकों में माने जाने वाले डॉ. ए. पी. जे. कलाम का नाम विश्वमर में आदर के साथ लिया जाता है। डॉ. कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र के पितामह के रूप में भी जाना जाता है प्रक्षेपास्त्र और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का नाम विश्व मानचित्र पर अंकित कराने का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है। डॉ. कलाम के अथक प्रयासों से ही आज हमारा देश प्रक्षेपास्त्र के क्षेत्र में विश्व के अन्य विकसित देशों की बराबरी कर रहा है। भारतीयों के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि हमारा देश वर्तमान में अंतरिक्ष और प्रतेपास्त्र के क्षेत्र में लगातार नित नई ऊँचाईयाँ छू रहा है। डॉ. अब्दुल कलाम दिखने व व्यवहार में साधारण और धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। सच्चे मुस्लिम होने के नाते वे नियमित रूप से नमाज अदा करते हैं। साथ ही वे राम भक्त भी हैं।
अलग-अलग प्रणालियों को एकीकृत रूप देने में डॉ. कलाम का कोई सानी नहीं है। वह अलग-अलग प्रणालियों को अपना विजन देकर एकीकृत कर हमेशा कुछ नया बनाने की क्षमता रखते हैं। डॉ. कलाम में चीजों को नये तरह से इस्तेमाल करने की क्षमता भी गजब की है। यही कारण है कि डॉ. कलाम ने अंतरिक्ष और सामरिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नये उपकरणों का निर्माण किया डॉ. कलाम महान त्याग और सादगी के पर्याय हैं। उन्होंने अपने जीवन में अब तक नाम और पैसे को तरजीह नहीं दी। उन्होंने सही मायने में देश की तरक्की के लिए अपने सुखों व हितों की कुर्बानी दी है। यदि डॉ. कलाम चाहते तो विदेश जाकर अथाह पैसा कमा सकते थे लेकिन उन्होंने अपने देश में ही रहना स्वीकार किया। सीमित संसाधनों और परेशानियों के बीच उन्होंने देश को वैज्ञानिक बुलंदियों पर पहुंचाने का जोखिम उठाया । उनकी इन्हीं खूबियों ने उन्हें आम आदमी की निष्ठा व आशा का केन्द्र बनाया है।
विश्व में वैज्ञानिक बिरादरी से राजनीतिक जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभानेवाले लोगों की कमी नहीं है। सोवियत संघ के राष्ट्राध्यक्ष ब्रेझनेव मेटलर्जिकल इंजीनियर थे जबकि अमरीकी राष्ट्रपति हॉवर्ट हूबर भी वैज्ञानिक इंजीनियर थे। इसी तरह सैन्य सेवा में रह चुके आइजनहावर ने अमरीकी राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियाँ बखूबी निभाईं। हमारे देश में सी. सुब्रामण्यम और राजारमन्ना जैसे लोगों ने सफलतापूर्वक मंत्री पद की जिम्मदारी निभाई । डॉ. कलाम के राष्ट्रपति बनते ही देश ने एक नये युग की शुरूआत की है। डॉ. कलाम को विदेश जाने का पहला अवसर 1963-64 में मिला था। इस समय: इन्हें नासा ने अपने यहां आमंत्रित किया था।
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