कुम्भ (kumbh) – प्रयागराज (इलाहाबाद) – लघु शोध पत्र (Research)
कुम्भ (kumbh) – प्रयागराज (इलाहाबाद) – लघु शोध पत्र (Research)
यह दुनिया के सबसे बड़े तीर्थ त्योहार, कुम्भ मेले का एक ऐतिहासिक अध्ययन है। प्रयागराज, उत्तरी भारत का एक राजनीतिक शहर है, जिसमें होने वाले विश्व के सबसे बड़े जमघट पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसमें मेले के एतिहासिक महत्व तथा परिवर्तनों का पता लगाने की कोशिश की गयी है। प्रयागराज के साथ कुम्भ का क्या सम्बंध है तथा कुम्भ से प्रयागराज के हो रहे सांस्कृतिक विकास पर प्रकाश डालने की पूर्ण कोशिश की गयी है। भारतीय समुदाय में हिंदुओं के पर्व कुम्भ के बीच का संबंध ज्ञात किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में हुए कुम्भ की लोकप्रियता तथा भव्यता का भी वर्णण किया गया है साथ ही साथ भारतीय ही नहीं विदेशी यात्रियों की भी बढ़ती रुचि का अध्ययन किया गया है।
कुम्भ की भव्यता जो की लगातार बढ़ती जा रही है उसकी चर्चा इस लघु शोध के अंतर्गत की गयी है। प्रयागराज उन चार तीर्थ स्थानों में से एक है जहां पर कुम्भ के पर्व को मनाया जाता है। भारतीय समुदाय में हिंदुओं के पर्व कुम्भ के बीच का संबंध ज्ञात किया गया है। कुम्भ के संदर्भ में प्रयागराज जैसे क्षेत्र को विषय क्षेत्र के रुप में चुना गया है क्योकि प्रयागराज का कुम्भ चारों स्थानों (हरिद्वार, उज्जैन, नासिक तथा प्रयागराज) में सबसे भव्य रुप में संपादित किया जाता है।
विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक महोत्सव की शुरुआत का वर्णन 640 वर्ष के पूर्व के समय से प्राप्त होता है। कुम्भ मेले का अपना एक अलग स्वरूप है यह महीने दो महीने चलने वाला एक सांस्कृतिक पर्व है कुम्भ के अर्थ से ज्ञात होता है कि पर्व का प्रचलन किसी कुम्भ अर्थात घड़े (अमृत कलश ) के द्वारा प्रारम्भ हुआ होगा। अमृत कलश के किसी दानव के हाथों में से जाने से बचाते समय हुए युद्ध के दौरान जिन चार जगहों में ये अमृत बूंदें गिरी थी वहाँ पर कुम्भ का आयोजन किया जाता है जिसमें कि प्रयागराज एक प्रमुख स्थान रखता है।
यह दुनिया के सबसे बड़े तीर्थ त्योहार, कुम्भ मेले का एक ऐतिहासिक अध्ययन है। प्रयागराज, उत्तरी भारत का एक राजनीतिक शहर है, जिसमें होने वाले विश्व के सबसे बड़े जमघट पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसमें मेले के एतिहासिक महत्व तथा परिवर्तनों का पता लगाने, प्रयागराज के साथ कुम्भ का क्या सम्बंध है तथा कुम्भ से प्रयागराज के हो रहे सांस्कृतिक विकास पर प्रकाश डालने की पूर्ण कोशिश की गयी है।
अध्याय नियोजन
इस परियोजना की अध्याय योजना का आयोजन निम्नानुसार है –
प्रथम अध्याय – प्रस्तावना
प्रथम अध्याय में सम्मिलित किया गया है पृष्ठ भूमि, अध्ययन क्षेत्र का संक्षिप्त वर्णन, अध्ययन का उद्देश्य, विधितंत्र, साहित्य की समीक्षा तथा अध्ययन का नियोजन |
द्वितीय अध्याय – प्रयागराज की भौगोलिक तथा सामाजिक स्थिति
इस द्वितीय अध्याय के अंतर्गत यहाँ पर प्रयागराज के सम्पूर्ण भौगोलिक तथा सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया गया है जिसमें की जिले का समान्य प्रतिरुप, भौगोलिक रुपरेखा, सामाजिक स्थिति, इतिहास, साक्षरता, कृषि तथा परिवहन इत्यादि का अध्ययन किया गया है |
तृतीय अध्याय – प्रयागराज के सांस्कृतिक विकास का सम्बन्ध कुम्भ मेले से
इस तृतीय अध्याय के अंतर्गत प्रयागराज में हुये सांस्कृतिक विकास के सम्बन्ध को कालों के अनुसार दर्शाया गया है साथ ही साथ यहाँ पर प्रयागराज के सांस्कृतिक प्रतिरुप को भी बताया गया है |
चतुर्थ अध्याय – कुम्भ की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठ भूमि
इस चतुर्थ अध्याय के अंतर्गत यहाँ पर कुम्भ के ऐतिहासिक स्वरुप तथा सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर ध्यान केन्द्रित किया गया है तथा यहाँ पर कुम्भ के सम्पूर्ण महत्व साथ ही साथ इस वर्ष 2019 के अर्ध कुम्भ मेले का भी विस्तृत रुप से अध्ययन किया गया है |
पंचम अध्याय – गंगा नदी का पर्यावरणीय प्रवाह और कुम्भ मेले के बीच का सम्बन्ध
इस पंचम अध्याय के अंतर्गत यहाँ पर पर्यावरणीय प्रवाह का संक्षिप्त वर्णन तथा इसका मानव कल्याण के साथ सम्बन्ध तथा साथ ही साथ यहाँ पर गंगा के लिए जो भी उसके प्रदूषण को कम करने हेतु योजनाएँ आई हैं उनका संक्षिप्त वर्णन किया गया है |
षष्ठम अध्याय – निष्कर्ष एवं सुझाव
सभी अध्यायों का सम्पूर्ण वर्णन निम्न तालिका में किया गया है (आवश्यकता अनुसार आगे के पृष्ठों पे बढ़ें)
अध्याय |
शीर्षक या प्रकरण |
प्रथम अध्याय |
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द्वितीय अध्याय |
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तृतीय अध्याय |
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चतुर्थ अध्याय |
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पंचम अध्याय |
गंगा नदी का पर्यावरणीय प्रवाह और कुम्भ मेले के बीच का सम्बन्ध |
षष्ठम अध्याय |
महत्वपूर्ण लिंक
- भारतीय संविधान की विशेषताएँ
- जेट प्रवाह (Jet Streams)
- चट्टानों के प्रकार
- भारतीय जलवायु की प्रमुख विशेषताएँ (SALIENT FEATURES)
- राजा राममोहन राय की सम्पूर्ण जीवन यात्रा
- मृदा नमी को प्रभावित करने वाले कारक
- भूमिगत जल को प्रभावित करने वाले कारक
- परमाणु रिएक्टर का निर्माता एनरिको फर्मी
- भूमिगत जल के स्रोत
- वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक
- मृदा नमी संरक्षण
- Important aspects related to the life of Netaji Subhash Chandra Bose
- Swami Dayanand Saraswati’s important contribution in social reform
- राजीव गांधी के व्यक्तित्व से जुड़े रोचक तथ्य
- Indian Citizenship
- अभिभावक शिक्षक संघ (PTA meeting in hindi)
- कम्प्यूटर का इतिहास (History of Computer)
- कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations of Computer)
- कम्प्यूटर्स के प्रकार (Types of Computers )
- अमेरिका की क्रांति
- माया सभ्यता
- हरित क्रान्ति क्या है?
- हरित क्रान्ति की उपलब्धियां एवं विशेषताएं
- हरित क्रांति के दोष अथवा समस्याएं
- द्वितीय हरित क्रांति
- भारत की प्रमुख भाषाएँ और भाषा प्रदेश
- वनों के लाभ (Advantages of Forests)
- श्वेत क्रान्ति (White Revolution)
- ऊर्जा संकट
- प्रमुख गवर्नर जनरल एवं वायसराय के कार्यकाल की घटनाएँ
- INTRODUCTION TO COMMERCIAL ORGANISATIONS
- Parasitic Protozoa and Human Disease
- गतिक संतुलन संकल्पना Dynamic Equilibrium concept
- भूमण्डलीय ऊष्मन( Global Warming)|भूमंडलीय ऊष्मन द्वारा उत्पन्न समस्याएँ|भूमंडलीय ऊष्मन के कारक
- भूमंडलीकरण (वैश्वीकरण)
- मानव अधिवास तंत्र
- इंग्लॅण्ड की क्रांति
- प्राचीन भारतीय राजनीति की प्रमुख विशेषताएँ
- प्रथम अध्याय – प्रस्तावना
- द्वितीय अध्याय – प्रयागराज की भौगोलिक तथा सामाजिक स्थित
- तृतीय अध्याय – प्रयागराज के सांस्कृतिक विकास का कुम्भ मेल से संबंध
- चतुर्थ अध्याय – कुम्भ की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
- पंचम अध्याय – गंगा नदी का पर्यावरणीय प्रवाह और कुम्भ मेले के बीच का सम्बंध
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