ज्वालामुखी का मानव-जीवन पर प्रभाव- निर्माणकारी प्रभाव तथा विनाशकारी प्रभाव
ज्वालामुखी का मानव-जीवन पर प्रभाव – निर्माणकारी प्रभाव तथा विनाशकारी प्रभाव
ज्वालामुखी का मानव-जीवन पर प्रभाव अथवा लाभ-हानियों का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है-
ज्वालामुखी का मानव-जीवन पर प्रभाव
(क) ज्वालामुखी से लाभ या निर्माणकारी प्रभाव
- नवीन स्थलाकृतियों का निर्माण
- उपजाऊ मिट्टी का निर्माण
- खनिजों की उपलब्धि
- झीलों की उत्पत्ति
- पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का ज्ञान
(ख) ज्वालामुखी से हानियाँ या विनाशकारी प्रभाव
- धन-जन का विनाश
- भूकम्पों की उत्पत्ति
- उपजाऊ भूमि की हास
- सभ्यता का अन्त
(क) ज्वालामुखी से लाभ या निर्माणकारी प्रभाव
ज्वालामुखी मानव-कल्याण में भी सहायक होते हैं। निम्नलिखित रूपों में मानव समाज इनसे लाभान्वित होता है।
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नवीन स्थलाकृतियों का निर्माण
ज्वालामुखी की उद्गारिक क्रियाओं के फलस्वरूप धरातल पर नवीन स्थलाकृतियों का जन्म एवं निर्माण होता है। जापान में फ्यूजीयामा पर्वतीय क्षेत्र तथा भारत में मालवा का पठार ज्वालामुखी लावे से ही निर्मित हुए हैं।
- उपजाऊ मिट्टी का निर्माण
ज्वालामुखी से निकले लावा के फैलकर सूखने से उपजाऊ काली मिट्टी का निर्माण होता है। यह उपजाऊ भूमि पोषक तत्त्वों से भरपूर होती है। इसमें गेहूँ, गन्ना, कपास, मुँगफली तथा तम्बाकू आदि फसलें अधिक उगाई जाती हैं। दक्षिण भारत में काली मिट्टी का क्षेत्र ज्वालामुखी उद्गारों की ही देन है जो कपास की कृषि के लिए विख्यात है।
- खनिजों की उपलब्धि
ज्वालामुखी उद्गार के फलस्वरूप भूगर्भ से बहुमूल्य एवं उपयोगी खनिज पदार्थ पृथ्वी के ऊपरी भागों में आ जाते हैं, जिन्हें सुगमता से प्राप्त किया जा सकता है। स्वीडन के किरुना क्षेत्र में पाये जाने वाले लौह-अयस्क के निक्षेप ज्वालामुखी उद्गारों का ही परिणाम हैं।
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झीलों की उत्पत्ति
निष्क्रिय ज्वालामुखियों के शंकु अथवा क्रेटर में जल भर जाने के कारण झीलें बन जाती हैं। झीलें हमारे लिए अनेक प्रकार से उपयोगी होती हैं। अफ्रीका की रुडोल्फ तथा अलबर्ट झीलें इसी प्रकार निर्मित हुई हैं।
- पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का ज्ञान
ज्वालामुखी उद्गार के समय जो पदार्थ बाहर निकलते हैं, उनसे हमें पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को जानने में वैज्ञानिक ज्ञान की प्राप्ति होती है एवं अन्य वांछित तथ्यों की जानकारी में सहायता मिलती है।
(ख) ज्वालामुखी से हानियाँ या विनाशकारी प्रभाव
ज्वालामुखी से मानव समाज को निम्नलिखित हानियाँ होती हैं।
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धन-जन का विनाश
ज्वालामुखी के उद्गार के फलस्वरूप अपार धन-जन की हानि होती है। इसके विस्फोट से क्षणमात्र में गगनचुम्बी भवन धराशायी हो जाते हैं, जिससे अनेक प्राणी मौत के मुँह में चले जाते हैं। ज्वालामुखी के विस्फोट के फलस्वरूप क्राकाटोआ द्वीप (जावा-सुमात्रा द्वीपों के मध्य) टुकड़े-टुकड़े हो गया था तथा लगभग 36,000 व्यक्ति काल-कवलित हो गये थे। इटली के पोम्पियाई तथा हरकुलेनियम नगर विसुवियस ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण पूर्णतः नष्ट हो गये थे।
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भुकम्पों की उत्पत्ति
ज्वालामुखी के अनायास विस्फोट के समय पृथ्वी में कम्पन होने लगता है, जिससे भूकम्प आ जाते हैं। भूकम्पो से भी अपार धन-जन की हानि होती है। भूकम्पों के कारण कभी-कभी भूपटल पर अनेक भू-आकृतियों का जन्म हो जाता है तथा कुछ प्राचीन भू-आकृतियाँ पूर्ण रूप से विनष्ट हो जाती हैं।
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उपजाऊ भूमि का ह्रास
ज्वालामुखी के विस्फोट के समय पिघला हुआ तप्त लावा दूर-दूर तक उपजाऊ कृषि-योग्य भूमि पर फैलकर उसे कृषि के अयोग्य बना देता है। इस प्रकार उपजाऊ भूमि का ह्रास होता है।
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सभ्यता का अन्त
ज्वालामुखी उद्गार के कारण कभी-कभी पूरे के पूरे नगर नष्ट हो जाते हैं। इन नगरों के नष्ट होने के साथ-साथ ही उनकी सभ्यता एवं संस्कृतियाँ भी समाप्त हो जाती हैं, इसीलिए ज्वालामुखी को सभ्यता का शत्रु’ कहा जाता है।
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