मानचित्र का अर्थ एवं परिभाषाएं (MEANING AND DEFINITION OF MAP)

मानचित्र का अर्थ एवं परिभाषाएं (MEANING AND DEFINITION OF MAP)
सामान्यतः पृथ्वी या उसके किसी भाग का समान अनुपात में प्रदर्शन मानचित्र कहलाता है। मानचित्र अर्थात् मैप (Map) शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द के मप्पा (Mappa) से हुई है। मप्पा का अर्थ ‘कपड़े का टुकड़ा अर्थात् रूमाल’ है। सर्वप्रथम 840 ई. में इटली के एक ईसाई मठाधीश ने कपड़े पर बने विश्व मानचित्र को माप्पामुण्डी (Mappamundi) कहा था। कालान्तर में माप्पामुण्डी शब्द का अपभ्रंश मेप (Map) अर्थात् मानचित्र प्रयोग में आया और आधुनिक युग में विश्व में मानचित्र एक सर्वमान्य शब्द के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। पृथ्वी का कोई भाग ऊपर से जैसा दिखाई पड़ता है, उसे परम्परागत चिह्नों का प्रयोग करके उसी प्रकार का दिखाना ही मानचित्र बनाना है। अतएवं मानचित्र परम्परागत चिन्हों की सहायता से बना एक ऐसा चित्र है, जिसमें मापक और दिशा आवश्यक रूप में प्रदर्शित की जाती है।
मानचित्र कागज, कपड़ा, ताम्र सीट, आदि के चौरस धरातल पर खींचा जा सकता है। मानचित्र पर केवल लम्बाई एवं चौड़ाई के विस्तार को ही प्रदर्शित किया जाता है। मानचित्र पृथ्वी का द्विविम प्रदर्शन है, जिसमें मापक और प्रक्षेप की सहायता से सम्पूर्ण पृथ्वी अथवा उसके किसी भू-भाग का प्रदर्शन होता है। मानचित्र पर पृथ्वी की वस्तुतः स्थिति प्रदर्शित नहीं की जा सकती, क्योंकि पृथ्वी का वास्तविक प्रदर्शन ग्लोब से ही हो सकता है, एक मानचित्र नहीं है, लेकिन भूगोलवेत्ता को भौगोलिक जानकारी प्राप्त करने के लिए सबसे बड़ा साधन मानचित्र है इसलिए मानचित्र का विस्तृत ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। मानचित्र निर्माण के लिए मापक का होना अत्यन्त आवश्यक है, मापक के बिना मानचित्र, रेखाचित्र कहलाता है। सामान्य रूप से मानचित्र की कुछ मान्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं :
मानचित्र की परिभाषाएं
- “अपनी प्राथमिक संकल्पना में कोई मानचित्र धरातल के प्रतिरूप का ऊपर से देखा गया रूढ़ि चित्र होता है जिसमें पहचान के लिए अक्षर लिख दिए जाते हैं।” – इरविन रेज़
- “निश्चित मापक के अनुसार धरातल के किसी भाग के लक्षणों को समतल सतह पर प्रदर्शन करने को मानचित्र कहते हैं।” -मोंकहाउस
- “सभी मानचित्र पृथ्वी के किसी भाग पर समतल पृष्ठ पर प्रतिनिधित्व करते हैं।” -जॉन बिगॉट
- “पृथ्वी के समस्त भू-भाग अथवा किसी एक भाग को कागज पर सांकेतिक चिन्हों द्वारा उचित मापक एवं प्रक्षेप पर चित्रण को मानचित्र कहते हैं।” -डॉ. रामलोचन सिंह
- “कागज पर पृथ्वी या उसके किसी भाग का मापनी के आधार पर प्रदर्शन ही मानचित्र है।”
मानचित्र अधिकांशतः कागज पर ही बनाए जाते हैं, लेकिन यह कपड़ा, ताम्रपत्र, प्लास्टिक शीट, लकड़ी का तख्ता, आदि की चौरस सतह पर भी बनाए जा सकते है। प्राचीनकाल में नक्शे तांबे (ताम्र) की प्लेट पर भी बनाए जाते थे। ईसा से 2,700 वर्ष पूर्व सुमेरकालीन मानचित्र पकी हुई ईंट पर बनाया गया था तथा मार्शल द्वीपवासियों ने पेड़ का टहनियों की सहायता से जलमार्ग का मानचित्र बनाया था।
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- तृतीय अध्याय – प्रयागराज के सांस्कृतिक विकास का कुम्भ मेल से संबंध
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