राष्ट्रीय आय | राष्ट्रीय आय मापने की विधियाँ | राष्ट्रीय आय का महत्व | भारत में राष्ट्रीय आय की प्रमुख मदें
राष्ट्रीय आय| राष्ट्रीय आय मापने की विधियाँ | राष्ट्रीय आय का महत्व | भारत में राष्ट्रीय आय की प्रमुख मदें |
राष्ट्रीय आय
राष्ट्रीय आय किसी देश द्वारा एक वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है। इसमें वस्तुओं व सेवाओं में अंतिम वस्तुएं व सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है। इन वस्तुओं का उपयोग उंपभोग में होता है न कि पुन: उत्पादन में। पुन: उत्पादित वस्तुएं मध्यवर्ती वस्तुएं कहलाती है। मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को राष्ट्रीय आय से नहीं जोड़ा जाता है। केवल अंतिम वस्तुओं के मूल्य को इसमें शामिल किया जाता है।
राष्ट्रीय आय मापने की विधियाँ
(1) उत्पादन विधि- यह अर्थव्यवस्था के कुल उत्पादन में उत्पादक इकाईयों के योगदान पर आधारित है।
(2) आय विधि- ये उत्पादन क्रिया में भाग लेने वाले सभी साधनों के कुल उत्पादन में योगदान के प्रतिफल से सम्बन्धित है।
(3) व्यय विधि- अर्थव्यवस्था में जो उत्पादन के साधनों को आय प्राप्त होती हैं, वह या तो उपभोग वस्तुओं पर व्यय होती हैं या बचत के रूप में विनियोजत होती है। इस प्रकार यह उपभोग एवं विनियोग व्यय के योग पर आधारित है।
राष्ट्रीय आय का महत्व
(1) राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय के आधार पर स्वदेश एव अन्य देशों से तुलना की जा सकती है और यह देखा जा सकता है कि देश कितना आगे या पीछे है।
(2) यह सरकार की नीतियों के निर्धारण में एक आधार का कार्य करती है।
(3) इसके द्वारा इस बात का पता लगाया जा सकता है कि देश में भावी प्रवृत्ति किस प्रकार होगी, वह किस दशा में बढ़ेगी।
(4) राष्ट्रीय आय के द्वारा एक देश की आर्थिक प्रगति का ऑकलन किया जा सकता है।
(5) इसके द्वारा अर्थव्यवस्था में हुए परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है और सरकारी नीति अपनाने के लिए इसको आधार माना जा सकता है।
(6) इसके आधार पर विभिन्न देशों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
(7) राष्ट्रीय आय में वृद्धि से देश में औद्योगिक विकास को बल मिलता है।
(8) परिवहन, संचार, ऊर्जा, बैंकिंग व बीमा क्षेत्रों का निबल राष्ट्रीय उत्पाद में बढ़ता हुआ हिस्सा इस बात का संकेत हैं कि देश की आर्थिक संरचना का प्रसार व विकास हो रहा है।
भारत में राष्ट्रीय आय की प्रमुख मदें
प्रमुख मदें निम्नलिखित हैं-
- स्वयं उपभोग के लिये किया गया उत्पादन
- सैनिक तथा सुरक्षा सेवायें
- सरकार द्वारा जनता को प्रदान की गयी निःशुल्क सेवाएँ
- मकान मालिक द्वारा स्व आवास प्रयोग में लाये जाने वाले मकान का आयोजित किराया
- लाभांश जो कम्पनियों के ही लाभ के भाग होते हैं, राष्ट्रीय आय में सम्मिलित होता है।
- भविष्य निधि कोष में मालिकों का अंशदान
- घिसावट व पूँजी का उपभोग
भारत में राष्ट्रीय आय की धीमी वृद्धि के कारण
- भारत में पूँजी की कमी राष्ट्रीय आय की धीमी वृद्धि के कारण हैं।
- भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या राष्ट्रीय आय के विकास में बाधक है।
- भारत में उत्पादन की पुरानी तकनीक से उत्पादन लागत अधिक लगती है। जो राष्ट्रीय आय की वृद्धि में बाधक है।
- भारत में कृषि आज भी मानसून क हाथ का जुआ है जिससे कृषि उत्पादन में अनिश्चितता के कारण राष्ट्रीय आय का विकास नहीं हो पा रहा है।
- आधारभूत संरचना के पर्याप्त विकास न होने के कारण राष्ट्रीय आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
भारत की राष्ट्रीय आय बढ़ाने के लिये सुझाव
- राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने के लिये विनियोग में वृद्धि करके राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि करना आवश्यक है। विनियोग में वृद्धि पूँजी निर्माण द्वारा ही सम्भव है अतः पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि करके राष्ट्रीय आय में वृद्धि की जा सकती है।
- कृषि क्षेत्र का विकास करके राष्ट्रीय आय को बढ़ाया जा सकता है।
- राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने के लिये उत्पादन तकनीक में सुधार करना आवश्यक है।
- देश में आधुनिक उद्योगों का बड़े पैमाने पर विस्तार करके राष्ट्रीय उत्पादन एवं आय में वृद्धि की जानी चाहिए।
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